हाईलाइट्स
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मध्य प्रदेश के मवासी गांव में आज तक नहीं पहुंची बिजली
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पड़ोसी गांव से केबल खींचकर बिजली लाते हैं ग्रामवासी
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मच्छरों, अंधेरे और गर्मी के बीच सोने को मजबूर पूरा गांव
Devas MP Mavasi Village No Electricity: मध्य प्रदेश में देवास जिले के खातेगांव से महज़ 25 किलोमीटर दूर बसे मवासी गांव में आज भी लोग ‘लालटेन युग’ में जीने को मजबूर हैं। जहां भारत चांद पर पहुंच चुका है, वही इस गांव के लोग अब तक बिजली की रौशनी के लिए तरस रहे हैं। हालात ऐसे हैं कि गर्मी में जब पंखा तक चलाना मुश्किल हो जाता है, तब यहां के ग्रामीण पड़ोसी गांव से केबल खींचकर बिजली लाने की कोशिश करते हैं, लेकिन वोल्टेज की समस्या उन्हें अंधेरे में ही रहने को मजबूर करती है।
आज़ादी के बाद भी अधूरी ज़िंदगी

भारत में जहां डिजिटल इंडिया और स्मार्ट सिटीज़ की बात हो रही है, वहीं मवासी गांव के लोग अब तक 24 घंटे की बिजली के इंतज़ार में हैं। गांव में रहने वाले करीब 20-25 परिवार, जो ज़्यादातर पंवार समाज से ताल्लुक रखते हैं, किसानी और मजदूरी कर अपना पेट पालते हैं। लेकिन इनका सबसे बड़ा संघर्ष आज भी वही है- बिजली।
गांववालों ने कई बार बिजली विभाग और प्रशासन से गुहार लगाई, लेकिन आज तक सिर्फ वादे और आश्वासन ही मिले हैं। 1 किलोमीटर दूर बसे मवासा गांव से केबल खींचकर बिजली लेने की कोशिश की जाती है, लेकिन लंबे फासले और खराब इंफ्रास्ट्रक्चर की वजह से वोल्टेज इतना कम होता है कि टीवी, पंखा या लाइट तक नहीं चल पाते।
बिजली ही नहीं, सुरक्षा और स्वास्थ्य से भी वंचित
यह गांव (MP Village No Electricity) केवल बिजली से वंचित नहीं है, बल्कि सुरक्षा और स्वास्थ्य जैसे अधिकारों से भी वंचित है। रात होते ही चारों ओर अंधेरा छा जाता है, न तो स्ट्रीट लाइट है और न ही किसी घर में रौशनी। बच्चे, बुज़ुर्ग और महिलाएं मच्छरों के बीच कच्चे आंगन में सोने को मजबूर हैं। जिन खेतों से होकर केबल गुजरती है, वहां काम करने वाले किसान हर वक्त करंट लगने के डर से परेशान रहते हैं। हर दिन डर और असुविधा में कटता है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी आंखें मूंदे बैठे हैं।

ऊर्जा मंत्री के निर्देश, लेकिन ज़मीनी सच्चाई कुछ और
हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस मामले में प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युमन सिंह ने कहा है कि यदि कोई गांव (MP Village No Electricity) अब तक बिजली से वंचित है, तो यह बेहद गंभीर विषय है। निर्देश जारी कर दिए गए हैं और जल्द ही कार्रवाई होगी।
मंत्री के इस बयान के बावजूद ग्रामीणों को अब भी भरोसा नहीं है। उनके लिए यह नया वादा नहीं, बल्कि वर्षों से चला आ रहा एक अधूरा वादा है, जो हर चुनाव में दोहराया गया, लेकिन कभी पूरा नहीं हुआ।
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डिजिटल इंडिया और विकास के दावों पर सवाल
सरकार जहां हर गांव तक इंटरनेट, वाई-फाई और स्मार्ट शिक्षा पहुंचाने की बात कर रही है, वहीं मवासी जैसे गांव आज भी 1947 से पहले वाली जिंदगी जीने को मजबूर हैं। यह न सिर्फ एक प्रशासनिक विफलता है, बल्कि भारत के ‘विकसित राष्ट्र’ बनने के सपने पर भी एक बड़ा सवालिया निशान है।