हाइलाइट्स
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सड़कों पर उतरे हजारों लोग
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पूर्ण राज्य बनाने की मांग
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लद्दाख बंद की स्थिति
Ladakh Statehood Demands: लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश के लिए छठी अनुसूची के तहत राज्य का दर्जा देने और संवैधानिक सुरक्षा की मांग को लेकर हजारों लोगों ने मार्च निकाला। पूरा लद्दाख बंद रहा। लेह एपेक्स बॉडी और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस द्वारा संयुक्त रूप से यह विरोध प्रदर्शन किया गया।
#WATCH | Leh, Ladakh: Thousands brave the freezing cold as they march demanding statehood for Ladakh and protections under the 6th Schedule of the Constitution for the Union Territory. (03.02) pic.twitter.com/gwsiGZBxXc
— ANI (@ANI) February 4, 2024
हजारों लोगों, जिनमें महिलाएं भी शामिल थीं, ने जमा देने वाले ठंड में लेह शहर में मार्च किया। उन्होंने नारे लगाते हुए लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची को लागू करने और लेह और कारगिल जिलों के लिए अलग-अलग संसदीय सीटों की मांग की।
प्रदर्शन कर रहे संगठनों की हैं ये मांगें
आंदोलन को दो सामाजिक-राजनीतिक संगठन ने लीड किया है। इसमें एपेक्स बॉडी लेह (एबीएल) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) शामिल हैं। इन संगठनों की चार मुख्य मांगें, जिसमें लद्दाख को राज्य का दर्जा, संविधान की छठी अनुसूची के तहत सुरक्षा उपाय, युवाओं के लिए नौकरियों में आरक्षण और लेह-कारगिल के लिए अलग-अलग संसदीय निर्वाचन क्षेत्रों को बनाना शामिल है।
4 दिसंबर को हुई पहले दौर की बातचीत में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय की अध्यक्षता में कमेटी ने अपनी भौगोलिक स्थिति और रणनीतिक महत्व को ध्यान में रखा। साथ ही साथ लद्दाख की “अद्वितीय संस्कृति और भाषा” की रक्षा के उपायों, लद्दाख के लोगों के लिए भूमि और रोजगार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के उपायों पर चर्चा की थी।
सरकार ने लेह-करगिल के संगठनों से दूसरे राउंड की बातचीत का ऐलान किया था
केंद्र ने कुछ दिन पहले ही लेह एपेक्स बॉडी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस के प्रतिनिधियों से दूसरे राउंड की बातचीत करने का ऐलान किया था। इसके बावजूद इन दोनों संगठनों ने लद्दाख शटडाउन रखा। लद्दाख के लोगों की मांगों पर विचार करने के लिए केंद्र ने पहले ही राज्य मंत्री (होम अफेयर्स) नित्यानंद राय की अगुआई में एक हाई पावर्ड कमेटी का गठन किया है।
लद्दाख के लोगों का कहना है कि वे कभी न खत्म होने वाले ब्यूरोक्रेटिक रूल के तहत नहीं रह सकते। लोगों ने कहा कि सिर्फ पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद ही उनकी मांग पूरी होगी, जब वे राज्य के लिए खुद प्रतिनिधि चुन सकेंगे। दिसंबर में केंद्र ने लद्दाख में पहली बैठक की थी और लेह और करगिल की दोनों संस्थाओं से अपनी मांगें रखने को कहा था।