नई दिल्ली। Delhi Excise Policy Case केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली सरकार की आबकारी नीति को बनाये जाने और उसके क्रियान्वयन में कथित भ्रष्टाचार के सिलसिले में पूछताछ के लिए दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सोमवार को तलब किया है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। दिल्ली सरकार इस नीति को अब वापस ले चुकी है।
अधिकारियों ने बताया कि संघीय जांच एजेंसी ने आम आदमी पार्टी (आप) के नेता सिसोदिया को सोमवार को पूर्वाह्न 11 बजे सीबीआई मुख्यालय में पेश होने को कहा है। सिसोदिया ने रविवार को ट्वीट किया, ‘‘मेरे घर पर 14 घंटे सीबीआई की छापेमारी की गई, कुछ नहीं निकला। मेरे बैंक लॉकर की तलाशी ली गई, उसमें कुछ नहीं निकला। मेरे गांव में इन्हें कुछ नहीं मिला। अब उन्होंने कल पूर्वाह्न 11 बजे मुझे सीबीआई मुख्यालय बुलाया है। मैं जाऊंगा और पूरा सहयोग करूंगा। सत्यमेव जयते।’’ अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने मामले में ‘इंडो स्पिरिट्स’ के मालिक समीर महेंद्रू, गुरुग्राम स्थित ‘बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड’ के निदेशक अमित अरोड़ा और ‘इंडिया अहेड न्यूज़’ के प्रबंधक निदेशक एम. गौतम सहित कई लोगों से पूछताछ की है।
उन्होंने बताया कि सीबीआई ने मामले में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता एवं ‘ओनली मच लाउडर’ के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर और हैदराबाद के एक व्यापारी अभिषेक बोइनपल्ली को गिरफ्तार भी किया है। बोइनपल्ली के साझेदार अरुण पिल्लई का नाम मामले में सीबीआई द्वारा दर्ज प्राथमिकी में बतौर आरोपी दर्ज है। सीबीआई ने अगस्त में सिसोदिया और 14 अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक प्राथमिकी दर्ज की थी। अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के उपराज्यपालय वी. के. सक्सेना ने दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के क्रियान्वयन में कथित अनियमितताओं की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। उन्होंने बताया कि प्राथमिकी दर्ज होने के बाद एजेंसी ने सिसोदिया के परिसरों पर छापेमारी की और गाजियाबाद के एक बैंक में उनके लॉकर की तलाशी भी ली।
दिल्ली के मुख्य सचिव की जुलाई में दी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई थी, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी राज्यक्षेत्र शासन अधिनियम 1991, कार्यकरण नियम (टीओबीआर)-1993, दिल्ली उत्पाद शुल्क अधिनियम-2009 और दिल्ली उत्पाद शुल्क नियमावली-2010 का प्रथम दृष्टया उल्लंघन पाए जाने की बात कही गई थी। अधिकारियों के मुताबिक, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में पाया गया था कि निविदा जारी करने के बाद ‘‘शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित लाभ’’ पहुंचाने के लिए ‘‘जानबूझकर और घोर प्रक्रियात्मक चूक’’ की गई। इसमें आरोप लगाया गया था कि राजकोष को नुकसान पहुंचाकर निविदाएं जारी की गईं और इसके बाद शराब कारोबार संबंधी लाइसेंस हासिल करने वालों को अनुचित वित्तीय लाभ पहुंचाया गया। विशेषज्ञ समिति की रिपोर्ट के आधार पर तैयार की गई आबकारी नीति 2021-22 को पिछले साल 17 नवंबर से लागू किया गया था और इसके तहत निजी बोलीदाताओं को शहरभर में 32 क्षेत्रों में 849 दुकानों के लिए खुदरा लाइसेंस जारी किए गए थे।