Delhi: दिल्ली हाईकोर्ट ने सरकारी अस्पतालों में होने वाले इलाज में की जा रही आनाकानी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। बिहार निवासी एक शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि अस्पताल दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीजों को इलाज मुहैया करने से इंकार नहीं कर सकते। याचिकाकर्ता का आरोप था कि राजधानी के सरकारी अस्पताल ने केवल दिल्ली के निवासियों को मुफ्त एमआरआई जांच की सुविधा प्रदान की है। अदालत ने कहा कि सरकारी अस्पताल इलाज के लिए मतदाता पहचान-पत्र दिखाने पर जोर नहीं दे सकते।
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा, ‘वे (अस्पताल) यहां मतदाता पहचान पत्र के लिए जोर नहीं दे सकते…अस्पतालों के लिए, एम्स या दिल्ली के किसी अन्य अस्पताल में, आप नागरिकों को को बाहर से आने (और इलाज कराने) से नहीं रोक सकते हैं।’ बता दें कि दिल्ली सरकार ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि अस्पताल द्वारा मरीज के निवास स्थान के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया गया है, जैसा कि आरोप लगाया है।
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि हालांकि सभी राज्य वित्त पोषित अस्पताल अपने पास आने वाले किसी भी व्यक्ति को मुफ्त इलाज देने के लिए बाध्य हैं, दिल्ली के मतदाता पहचान पत्र रखने वाले लोगों को ‘त्वरित उपचार’ दिया गया और बाहरी लोगों को अस्पताल में ‘जांच के लिए लंबी तारीखें’ सौंपी गईं।