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Bhopal AIIMS News: इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर, ICMR) ने भोपाल के एम्स (AIIMS Bhopal) को मृत शरीर के स्पर्म (Sperm) को डोनेट कर बच्चों की प्राप्ति की संभावनाओं पर रिसर्च की है।
इस रिसर्च के जरिए यह पता लगाया है कि जब किसी युवा पुरुष की मौत हो जाती है तो उसके कितने समय बाद तक स्पर्म जिंदा रहते हैं और इन स्पर्म से बच्चों की प्राप्ति की जा सकती है या नहीं।
रिसर्च से मिली जानकारी
एम्स भोपाल में हुई इस रिसर्च में यह बात सामने आई है कि मृत व्यक्ति के शरीर से अगर शुक्राणु (स्पर्म) निकाल लिया जाए तो वह साढ़े उन्नीस घंटों तक जीवित रहते हैं। इससे कोई महिला मां भी बन सकती है।
एम्स भोपाल के फोरेंसिक मेडिसिन और टाक्सिकोलाजी विभाग (Bhopal AIIMS News) के प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र कुमार विदुआ व उनकी टीम ने पोस्टमार्टम कर स्पसर्म की प्राप्ति पर रिसर्च की है। इस रिसर्च में 125 मृत व्यक्तियों के शरीर से स्पार्म निकाला गया और उन्हें सही से स्टोर किया गया।
इसमें 47.22 प्रतिशत व्यक्तियों के शुक्राणु जिंदा पाए गए। जिनसे बच्चोंत की प्राप्ति की जा सकती है।

देश में पहली बार हुई ऐसी रिचर्स
डॉ. राघवेंद्र कुमार ने बताया कि मृत व्यक्तियों (Bhopal AIIMS News) पर इस प्रकार की रिर्चस देश में पहली बार एम्स भोपाल में की गई है। इस रिसर्च को ग्रीस के एथेंस में आयोजित 26वें त्रिवार्षिक इंटरनेशनल एकेडमी आफ लीगल मेडिसिन सम्मेलन में शामिल किया गया।
रिसर्च का बजट था 35 लाख रुपए
ICMR ने 35 लाख रुपए का बजट स्वीकृत किया था। ICMR ने इस प्रोजेक्ट को वर्ष 2020 में ही मंजूरी दे दी थी, लेकिन कोरोना संक्रमण (Corona) के कारण प्रोजेक्ट जनवरी 2022 में शुरू हो सका है।
एफएमटी डिपार्टमेंट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राघवेंद्र विदुआ, डॉ. अरनीत अरोरा और एडिशनल प्रोफेसर पैथोलॉजी डॉ. अश्वनि टंडन ने इस पर रिसर्च पूरी की है।
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