दमोह उपचुनाव: भाजपा में रहकर भी राहुल लोधी को मात देंगे जयंत मलैया! जानिए सियासी गणित

भोपाल। दमोह उपचुनाव कांग्रेस और भाजपा दोनों के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। एक तरफ कांग्रेस चाह रही है कि इस सीट पर उसका कब्जा बरकरार रहे तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी किसी भी हाल में यह सीट वापस पाना चाहती है। हालांकि, बीजेपी के लिए राह आसान नहीं होने वाली है।
जानकार क्या मानते हैं
क्योंकि इस सीट के लिए भाजपा की तरफ से स्वाभाविक तौर पर पूर्व मंत्री जयंत मलैया टिकट के दावेदार थे। लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया है और कांग्रेस से आए राहुल लोधी पर भरोसा जताया है। ऐसे में राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि मलैया सामने से तो जरूर बीजेपी के साथ दिख रहे हैं लेकिन पर्दे के पीछे से कांग्रेस उम्मीदवार अजय टंडन का समर्थन कर सकते हैं। क्योंकि अगर वे ऐसा नहीं करते हैं, तो उनके परिवार का राजनीतिक भविष्य खतरे में पड़ जाएगा।
भाजपा मलैया को खुश करने में जुटी
हालांकि भाजपा ने अपने वरिष्ठ नेता को खुश करने के लिए एक ब्लूप्रिंट तैयार कर लिया है। जिसके बाद जयंत मलैया के बेटे सिद्धार्थ मलैया ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। वहीं भाजपा ने अपने प्रत्याशी राहुल लोधी को जिताने के लिए स्टार प्रचारकों की सूची में जयंत मलैया का नाम शामिल कर दिया है। यानी जैसा कहा जा रहा था कि मलैया परिवार खुलकर इस चुनाव में अपने बागी तेवर दिखा सकता है, वो तो अब नहीं होने वाला है।
नाराजगी खत्म करने के लिए बनाया गया स्टार प्रचारक
लेकिन, पर्दे के पीछे कुछ खेल हो जाए तो कुछ नहीं कहा जा सकता, क्योंकि जानकार भी मान रहे हैं कि भाजपा जयंत मलैया को बस इसलिए स्टार प्रचारक बनाई है ताकि उनकी नाराजगी को दूर किया जा सके। साथ ही टिकट कटने के बाद मलैया परिवार बागी ना हो जाए इससे उन्हें रोका जाए। लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि मलैया राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। वे नफा-नुकसान को अच्छी तरह से जानते हैं। यही कारण है कि अभी तक उन्होंने बगावत के सुर खुलकर नहीं लगाए हैं।
भाजपा में रहकर भी देंगे मात
वहीं सूत्रों की मानें तो मलैया पार्टी में रहकर भी भाजपा का वोट काट लेंगे। क्योंकि पार्टी ने उन्हें स्टार प्रचारक बनाया है और जैसे ही वो चुनाव प्रचार के लिए जनता के बीच जाएंगे। लोग 2018 में उनके और लोधी के बीच हुए चुनाव को याद करेंगे। ऐसे में स्वाभाविक तौर पर मलैया के लिए लोग सहानुभूति रखेंगे और राहुल लोधी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है।
कांग्रेस से नहीं बीजेपी के बागी से हारे थे मलैया
बतादें कि दमोह इलाके में मलैया परिवार की अच्छी खासी पैठ है। 2018 के विधानसभा में भी मलैया कांग्रेस से नहीं हारे थे, बल्कि बीजेपी के रामकृष्ण कुमरिया के बगावत ने उन्हें हरा दिया था और कांग्रेस से पहली बार महज 758 मतों से चुनाव जीतकर राहुल सिंह लोधी विधानसभा पहुंचे थे। वहीं अगर जयंत मलैया 2018 में चुनाव जीत जाते तो वो 7वीं बार लगातार विधानसभा पहुंचते। लेकिन कुमरिया की बगावत ने उन्हें 7वीं बार विधानसभा जाने से रोक दिया था।
मलैया का राजनीतिक इतिहास
मलैया के राजनीतिक इतिहास की बात करें तो वे मप्र में बीजेपी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। वहीं दमोह में 1990 से लेकर 2018 तक उनका दबदबा रहा है। जिसमें
वे लगातार 6 बार दमोह से विधायक रहे हैं। इसके साथ ही वे मप्र के पूर्व वित्त मंत्री भी रहे हैं।