Cyber Fraud Mitigation Centre: केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह मंगलवार 10 सितंबर को नई दिल्ली में 14C के पहले स्थापना दिवस समारोह में शामिल होंगे। इस कार्यक्रम में वे साइबर अपराध की रोकथाम के लिए कई जरूरी पहलुओं का शुभारंभ करेंगे। इस अवसर पर गृह मंत्री “साइबर धोखाधड़ी न्यूनीकरण केंद्र” का राष्ट्र को समर्पण करेंगे, जो भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (14सी) में स्थापित किया गया है।
क्या होता है Cyber Fraud Mitigation Centre
साइबर फ्रॉड मिटिगेशन सेंटर (CFMC) ऐसी जगह होगी, जहां साइबर फ्रॉड रोकने वाली सभी एजेंसियां एक साथ बैठेंगी। इनमें बैंकों के प्रतिनिधि, लॉ एनफोर्समेंट एजेंसियां, टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स सभी शामिल होंगे। अभी सभी एजेंसियों के अलग-अलग बैठने से कार्रवाई में काफी समय लग जाता है।
इसमें प्रमुख बैंकों, वित्तीय संस्थानों, भुगतान एग्रीगेटर्स, टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं, आईटी इंटरमीडियरीज, और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। ये सभी व्यक्ति के साथ हुए ऑनलाइन वित्तीय अपराधों का तुरंत सामना करने और आपसी सहयोग के साथ काम करेंगे। सीएफएमसी (साइबर फ्रॉड मॉनिटरिंग सेंटर) कानून प्रवर्तन में सहकारी संघवाद का एक उत्कृष्ट उदाहरण बनेगा।
इसके अलावा, अमित शाह “समन्वय प्लेटफॉर्म” (संयुक्त साइबर अपराध जांच सुविधा प्रणाली) का भी शुभारंभ करेंगे, जो एक वेब-आधारित मॉड्यूल है। यह प्लेटफॉर्म साइबर अपराध से संबंधित डेटा संग्रह, साझा करने, अपराध मानचित्रण, विश्लेषण और पूरे देश की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच समन्वय के लिए एक वन-स्टॉप पोर्टल के रूप में कार्य करेगा।
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फ्रॉड पर होगा तुरंत एक्शन
अब वित्तीय धोखाधड़ी रोकने से जुड़ी सभी एजेंसियां एक ही छत के नीचे काम करेंगी। वे सभी एक जगह इकट्ठा होकर मिलकर काम करेंगी। फिलहाल, ऑनलाइन धोखाधड़ी रोकने वाली एजेंसियां अपने-अपने अलग कार्यालयों से काम कर रही हैं, जिनमें सरकार, बैंक, टेलीकॉम सेवा प्रदाता, आईटी मध्यस्थ और सोशल मीडिया कंपनियां शामिल हैं। अलग-अलग जगहों पर होने के कारण उनका आपसी संवाद इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के जरिए होता है, जिससे किसी वित्तीय धोखाधड़ी या संदिग्ध लेन-देन को रोकने में देरी हो जाती है।
रुपए का फ्रॉड करने वालों पर लगेगी लगाम
सूत्रों की मानें तो फिलहाल विभिन्न एजेंसियां साइबर फ्रॉड से जुड़े केवल 11 प्रतिशत रुपए को ही फ्रॉड करने वालों के हाथ में जाने से रोक पाती हैं, लेकिन सीएफएमसी की शुरुआत के बाद इस संख्या में बड़ा सुधार होगा और लगभग 50-60 फीसदी धनराशि को धोखाधड़ी करने वालों तक पहुंचने से रोका जा सकेगा। इसके अलावा, धोखाधड़ी का शिकार व्यक्ति का पैसा भी अब की तुलना में काफी तेजी से रिकवर किया जा सकेगा।
I4C क्या है
I4C की स्थापना 5 अक्टूबर 2018 को गृह मंत्रालय के साइबर और सूचना सुरक्षा विभाग के तहत केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत नई दिल्ली में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में साइबर अपराध से संबंधित सभी मुद्दों का समाधान करने के लिए एक राष्ट्रीय समन्वय केंद्र स्थापित करना है। I4C का लक्ष्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की क्षमताओं को बढ़ाना और साइबर अपराध से निपटने वाले विभिन्न हितधारकों के बीच समन्वय को बेहतर बनाना है।
10 जनवरी 2020 को I4C के मुख्यालय का उद्घाटन हुआ और इसे राष्ट्र को समर्पित किया गया। स्थायी संस्थागत ढांचा प्रदान करने और योजना चरण के दौरान प्राप्त अनुभव को संजोने के लिए, I4C को 1 जुलाई 2024 से गृह मंत्रालय के तहत एक संलग्न कार्यालय के रूप में नामित किया गया है।
यहां करें शिकायत
यह प्रणाली वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की शिकायतों पर जल्द से जल्द कार्रवाई करके धोखेबाजों तक रुपए जाने के प्रवाह को रोकती है। नागरिकों को किसी भी वित्तीय साइबर धोखाधड़ी की सीधे रिपोर्ट करने में मदद करने के लिए एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन नबंर 1930 पर आप शिकायत कर सकते हैं।
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