Crime Against Women: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक ट्रेनी महिला डॉक्टर (Crime Against Women) के साथ रेप और मर्डर के बाद देशभर में डॉक्टरों में आक्रोश है। महिला डॉक्टर को न्याय दिलाने के लिए लोग सड़कों पर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदर्शन कर रहे लोग आरोपी संजय रॉय को फांसी देने की मांग कर रहे हैं।
वहीं, प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग यह भी है कि डॉक्टर्स की सुरक्षा के लिए कड़े कानून बनाए जाए। बता दें कि, अधिकांश मामलों में दुष्कर्म करने वाला व्यक्ति काफी करीबी होता है या फिर परिचित या रिश्तेदार ही होता है।
वहीं, सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर देश में रेप और हत्या की घटनाएं इतनी बढ़ क्यों रही हैं। छोटी बच्ची से लेकर वृद्ध महिलाओं के साथ हैवान दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। चलिए आपको बताते हैं कि इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं।
क्रिमिनल मानसिक बीमारी से पीड़ित
मानसिक रोग विशेषज्ञ का कहना है कि बच्ची और बुजुर्ग महिला के साथ दुष्कर्म (Crime Against Women) करने का ख्याल कभी भी किसी मानसिक तौर पर फिट व्यक्ति के मन में नहीं आता है। फिट व्यक्ति के मन में हमेशा बच्ची को दुलारने और बुजुर्ग महिलाओं की इज्जत का ख्याल ही आएगा। वहीं, मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति के मन में बच्ची और बुजुर्ग महिला को कष्ट देने का ख्याल ही आएगा।
इसे सैडिस्टिक प्लेजर करते हैं। इस मानसिक बीमारी से पीड़ित लोगों को क्राइम पर बनी वेब सीरीज और फिल्में उकसाने का कार्य करती हैं। क्राइम वेब सीरीज और उकसाने वाली फिल्में देखने के बाद उन्हें भी लगता है कि वह भी ऐसा करेंगे फिर कानून को चकमा देकर वह हीरो बन जाएंगे।
आखिर क्या होती है सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी?
सैडिस्टिक प्लेजर से जुझ रहे व्यक्ति को किसी के साथ क्रूरता करने या फिर किसी को दर्द पहुंचाने में काफी खुशी मिलती है। यह एक तरीके का मनोरोग होता है। इससे पीड़ित व्यक्ति को किसी का रेप करके, उसे घायल करके या भी उसकी हत्या करते या फिर उसके साथ मारपीट या अन्य तरीके के टॉर्चर करने में काफी खुशी मिलती है।
क्यों बढ़ती है ये बीमारी
सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी (Crime Against Women) के बढ़ने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे की जिन लोगों को बचपन में प्यार नहीं मिलता, या फिर पिता बच्चे और उसकी मां को शराब पीकर पीटता हो।
किसी अपने को बुरी स्थिति में देखना, मां या फिर किसी अन्य प्रियजन की किसी क्राइम में मौत हुई हो। बचपन में टॉर्चर या फिर यौन शोषण हुआ हो, ऐसे लोग ही बड़े होकर क्रूरता आनंद उठाने लगते हैं। उनके साथ हुई घटनाओं के बाद वह दूसरे को भी उसी तरह का टॉर्चर करते हैं और फिर उन्हें भी इसमें मजा आने लगता है।
क्या इनको कानून का डर नहीं होता?
ऐसी अपराधियों के बारे में जानने के बाद लगता है कि क्या ऐसा लोगों को कानून (Crime Against Women) का डर नहीं सताता है? इसपर मानसिक रोग विशेषज्ञों का मनना है कि कोई भी व्यक्ति एक या दो दिन में अपराधी नहीं बनता है।
सैडिस्टिक प्लेजर से पीड़ित लोग इस तरह की छोटी-छोटी गतिविधियां करते रहते हैं औ उनके इस कृत्य से परिवार, रिश्तेदार और पड़ोसी के लोग बाकायदा वाकिफ होते हैं, लेकिन वह इस बात को किसी दूसरे को बताते नहीं हैं और यहीं कारण है कि वह आगे जाकर किसी बड़ी वारदात को अंजाम देते हैं।
इसके बाद पुलिस आरोपी (Crime Against Women) को गिरफ्तार करती है, लेकिन जेल से रिहा होने के बाद वह फिर से उसी क्राइम को अंजाम देता है। इसका कारण यह है कि मानसिक रोगी कानून और इमोशंस के बारे में कतई नहीं सोचते हैं और ना ही वह इसमें पूरी तरह से सक्षत होते हैं। ऐसे लोगों को मेंटल हेल्थ के इलाज की आवश्यता होती है।
सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी के ये होते हैं लक्षण
अगर किसी व्यक्ति को सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी होती है तो इसी पहचान इन चार तरीकों से की जा सकती है।
- 1. सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी वाले लोग काफी अधिक झूठ बोलते हैं।
- 2. वह जब भी आपसे मिलेंगे तो वह खुद को बेचारा या फिर दुखियारा दिखाएंगे।
- 3. खुद को पीड़ित बताकर वह आपसे सहानुभूति बटोरना चाहेंगे।
- 4. वह आपके साथ भावनात्मक खेल खेलने का प्रयास करेंगे। वह इसमें काफी माहिर होंगे।
सरकार ने शुरू की मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन
भारत में लॉकडाउन के दौरान लोगों में मानसिक तनाव, गुस्सा और अवसाद बढ़ने की समस्या को देखा गया था। घरेलू हिंसा और आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने मेंटल हेल्थ हेल्पलाइन किरण (1800-599-0019) शुरू की गई थी।
यहां पर मानसिक स्थितियों से जूझ रहे लोगों को 24*7 काउंसलिंग सेवाएं दी जाती हैं। अगर किसी भी व्यक्ति को मानसिक तौर पर यह परेशानी होती है तो वह इन नंबरों पर कॉल कर सकते हैं।
कृपया ध्यान दें! ये संकेत सैडिस्टिक प्लेजर बीमारी के लिए खास नहीं हैं और इसके लक्षण अन्य मनोवैज्ञानिक स्थितियों में भी देखे जा सकते हैं। यदि आप या कोई अन्य व्यक्ति इनमें से किसी भी संकेत या फिर इनमें से मिलते-जुलते लक्षणों का अनुभव करता है, तो उसे सीधा मनोचिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
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