नयी दिल्ली, छह जनवरी (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने तीन कृषि कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बुधवार को केन्द्र से जवाब मांगा। इस याचिका में दलील दी गयी है कि इस विषय पर संसद को कानून बनाने का अधिकार नहीं है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने इस याचिका पर कानून मंत्रालय को नोटिस जारी करते हुये कहा कि इस पर पहले से ही लंबित याचिकाओं के साथ 11 जनवरी को सुनवाई की जायेगी।
अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा की इस याचिका में संविधान (तीसरे संशोधन कानून), 1954 की वैधता पर भी सवाल उठाये गये हैं, जो कृषि के मामले में कानून बनाने का केन्द्र को अधिकार प्रदान करता है।
इस याचिका में दलील दी गयी है कि संसद ने 1954 में गलत तरीके से संविधान की समवर्ती सूची में कृषि को शामिल किया था।
पीठ ने इन कानूनों को निरस्त करने का अनुरोध करने संबंधी इस याचिका में संशोधन करने की याचिकाकर्ता को अनुमति दे दी है।
इससे पहले, न्यायालय ने शर्मा की 12 अक्टूबर को खारिज की गयी जनहित याचिका 19 नवंबर को बहाल कर दी थी। उस समय पीठ ने शर्मा से कहा था कि वह उच्च न्यायालय जायें।
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अनूप दिलीप
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