नयी दिल्ली, 13 जनवरी (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सेवा निवृत्त कर्मचारियों से नकदी रहित मेडिकल सुविधा के लिए प्रीमियम लेने और और उन्हें ऐसी सुविधा मुहैया नहीं कराने को लेकर एक नगर निगम की खिंचाई करते हुए बुधवार को कहा कि यह धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के बराबर है।
अदालत ने कहा कि नगर निगम ने प्रीमियम की राशि ली लेकिन मेडिकल सुविधा मुहैया कराने के लिए उसने किसी अस्पताल के साथ कोई समझौता नहीं किया।
मुख्य न्यायाधीश डी. एन. पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ इस बात से भी नाखुश है कि निगम अपने सेवानिवृत्त कर्मचारियों को समय पर पेंशन नहीं दे रहे हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘सेवानिवृत्त कर्मचारियों से प्रीमियम की राशि लेने के बाद आप कैसे कह सकते हैं कि नकदी रहित सुविधा उपलब्ध नहीं है? आप पेंशन कैसे रोक सकते हैं? हम आपके अधिकारियों का वेतन रोक देंगे।’’
पीठ ने कहा, ‘‘अगर आप प्रीमियम की राशि ले रहे हैं और नकदी रहित सुविधा सिर्फ इसलिए मुहैया नहीं करा रहे हैं क्योंकि किसी अस्पताल के साथ फिलहाल आपका कोई समझौता नहीं है तो, यह धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात के समान है। अगर आपका कोई समझौता नहीं है तो प्रीमियम क्यों ले रहे हैं?’’
पीठ ने कहा, ‘‘दिसंबर 2020 से आप 78,000 रुपये का प्रीमियम ले रहे हैं जबकि आपका किसी (अस्पताल) के साथ कोई समझौता नहीं है। यह धोखा देने के समान है।’’
अदालत ने नगर निगम से यह भी जानना चाहा कि उसने सेवानिवृत्त कर्मचारियों का 2020 का किस महीने तक का मेडिकल बिल पुनर्भुगतान किया है। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की है।
भाषा अर्पणा माधव
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