bhopal: वर्तमान में मध्यप्रदेश देश का सर्वाधिक गौवंश और गौशालाओं वाला प्रदेश है। यहाँ गौवंश के विकास, गौ-पालन, गौ-संरक्षण, गौ-संवर्धन और गौ आधारित उत्पादों के संवर्धन के लिये सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना और अशासकीय स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा संचालित 1768 गौ-शालाओं में ढाई लाख से ज्यादा गौ-वंश की देखभाल की जा रही है। शासन द्वारा प्रति गौवंश प्रति दिवस के मान से 20 रुपये का अनुदान दिया जाता है। मुख्यमंत्री गौ-सेवा योजना में अब तक पूर्ण 1141 गौ-शालाओं में 76 हजार 941 गौ-वंश का पालन किया जा रहा है। स्वयंसेवी संस्थाओं की पंजीकृत 627 गौ-शालाओं में भी करीब एक लाख 74 हजार गौ-वंश की देखभाल की जा रही है।country highest gausala
विकसित होंगे गौवंश वन्य विहार
गौ-वंश को जंगल से आहार और वन को गोबर से खाद मिलने की व्यवस्था प्राकृतिक है। गौपालन एवं पशुधन संवर्धन बोर्ड द्वारा जंगलों के पास गौ-वंश वन्य विहार विकसित किये जा रहे हैं। रीवा जिले के बसावन मामा क्षेत्र में 51 एकड़ क्षेत्र में गौ-वंश वन्य विहार विकसित किया गया है, जिसमें 4 हजार गौ-वंश हैं। जबलपुर जिले के गंगईवीर में 10 हजार और दमोह जिले में 4 हजार गौ-वंश की क्षमता वाला वन्य विहार विकसित किया जा रहा है। आगर-मालवा के सुसनेर में 400 एकड़ में कामधेनु अभयारण्य विकसित किया गया है, जिसमें वर्तमान में 3400 बेसहारा, वृद्ध और बीमार गायों की देखभाल की जा रही है। इसी माह सागर विश्वविद्यालय में कामधेनु पीठ की स्थापना भी की गई है।country highest gausala
मध्यप्रदेश में गौ हत्या संज्ञेय अपराध
मध्यप्रदेश में गौ हत्या संज्ञेय अपराध है। यहाँ आरोप सिद्ध होने पर सजा का प्रावधान है। मध्यप्रदेश में चार प्रजाति का देशी गौ-वंश पाया जाता है, जिनका दूध गिर गाय की तरह ही स्वर्णयुक्त एवं उच्च गुणवत्ता वाला है। देशी गाय के दूध में मानव स्वास्थ्य के लिये आवश्यक सभी पोषक तत्व पाये जाते हैं।country highest gausala
प्रतिदिन 9.13 लाख किलो लीटर दूध का संकलन
प्रदेश में लगभग सवा 7 हजार दुग्ध सहकारी समितियाँ कार्यरत हैं, जिनके माध्यम से पिछले वित्त वर्ष में प्रतिदिन औसतन 9 लाख 13 हजार किलो लीटर दुग्ध संकलन और औसत 6 लाख 38 हजार लीटर पैकेट दुग्ध विक्रय हुआ है। लॉकडाउन के दौरान दुग्ध संघों द्वारा 2 करोड़ 54 लाख लीटर दूध अतिरिक्त रूप से खरीदा गया। उल्लेखनीय यह भी है कि कोरोना लॉकडाउन के कारण जहाँ कई व्यवसाइयों को आर्थिक तंगी से गुजरना पड़ा, वहीं दुग्ध उत्पादक किसानों को 94 करोड़ रुपये राशि का अतिरिक्त भुगतान किया गया।country highest gausala
आइसक्रीम, पनीर आदि संयंत्रों का निर्माण
पिछले एक साल में इंदौर में 4 करोड़ रुपये की लागत से आइसक्रीम संयंत्र और खण्डवा में 25 हजार लीटर क्षमता के संयंत्र निर्माण का कार्य पूरा हुआ। जबलपुर में पौने 10 करोड़ रुपये की लागत से 10 मीट्रिक टन प्रतिदिन क्षमता के स्वचलित पनीर निर्माण संयंत्र की स्थापना का काम भी पूरा हो चुका है। सागर में भी एक लाख लीटर क्षमता के संयंत्र की स्थापना की गई।country highest gausala
सौर ऊर्जा को बढ़ावा
दुग्ध संयंत्रों को ऊर्जा में आत्म-निर्भर बनाने के लिये सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापना की कार्यवाही को प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश के 5 संयंत्रों में 4 करोड़ 13 लाख रुपये की लागत से सौर ऊर्जा आधारित गर्म पानी के संयंत्रों की स्थापना की जा रही है।country highest gausala
अतिरिक्त दूध का उपयोग मिल्क पावडर बनाने में
दुग्ध संघों द्वारा वितरण से बचे हुए दूध का मिल्क पावडर बनाकर महिला-बाल विकास विभाग की “टेक होम राशन” योजना के लिये प्रदाय किया जाता है। आँगनवाड़ियों के लिये सुगंधित मीठा दुग्ध चूर्ण भी पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से प्रदाय किया जा रहा है।country highest gausala
देश की दूसरी सीमन प्रयोगशाला भोपाल में
केन्द्रीय वीर्य संस्थान द्वारा साढ़े 47 करोड़ रुपये की लागत से देश की दूसरी सेक्स सार्टेड सीमन प्रयोगशाला भोपाल में स्थापित की गई है। प्रयोगशाला में अब तक 21 हजार 580 सीमन का उत्पादन किया जा चुका है। सागर जिले के रतौना में राष्ट्रीय गोकुल मिशन में गोकुल ग्राम और कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान की स्थापना की गई है। बुंदेलखण्ड क्षेत्र विकास योजना में दतिया जिले के नौनेर में आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश के तहत प्रदेश का दूसरा वीर्य उत्पादन संस्थान स्थापित किया गया है। पिछले साल राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में 1500 और गोकुल मिशन में 850 मैत्री को प्रशिक्षण दिया गया।country highest gausala
स्वास्थ्य सुरक्षा के लिये टीकाकरण
प्रदेश के सभी गौ-भैंस वंशीय पशुओं को नेशनल एनीमल डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम में एफएमडी और ब्रूसेल्ला का टीका लगाया गया। समस्त पशुओं को यूआईडी टेग लगाकर इनाफ पोर्टल पर दर्ज किया जा रहा है। राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम में ढाई करोड़ से अधिक पशुओं का एफएमडी रोग के विरुद्ध टीकाकरण किया गया है। उद्देश्य वर्ष 2025 तक मुँहपका, खुरपका (एफएमडी) और ब्रूसेल्ला रोग पर नियंत्रण पाना और वर्ष 2030 तक इनका उन्मूलन करना है। दुधारु पशुओं के निरोगी होने से दूध, पशुधन और उत्पादों में वृद्धि होगी। परिणाम स्वरूप किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि सुनिश्चित होगी। टीकाकरण का प्रथम चरण 31 जनवरी, 2021 को पूरा हो चुका है।country highest gausala
राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम
कार्यक्रम के प्रथम चरण में 7 लाख 65 हजार गौ-भैंस वंशीय पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान, 5 लाख 91 हजार गर्भधारण परीक्षण और एक लाख 62 हजार वत्सोत्पादन किया गया। द्वितीय चरण में 19 लाख 15 हजार गौ-भैंस वंशीय पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान, 9 लाख 29 हजार का गर्भधारण परीक्षण और 38 हजार 365 वत्सोत्पादन हुआ। तीसरा चरण एक अगस्त, 2021 से प्रारंभ होकर 31 मई, 2022 तक चलेगा। इसमें अब तक डेढ़ लाख कृत्रिम गर्भाधान और 3 हजार से अधिक गर्भ परीक्षण किये जा चुके हैं। इनकी प्रविष्टि भी इनाफ पोर्टल पर की जा रही है।country highest gausala
बकरी दूध विक्रय आरंभ
जनजातीय गौरव दिवस 15 नवम्बर से प्रदेश में ग्राहकों को बकरी का दूध भी मिलना आरंभ हो गया है। बकरी दूध विक्रय की शुरूआत जनजातीय बहुल जिलों सिवनी, बालाघाट और धार, झाबुआ और बड़वानी जिलों में उत्पादित 50 से 70 रूपये प्रतिकिलो की दर से खरीदे गये दूध से की गई है। उच्च गुणवत्ता वाला पौष्टिक बकरी का दूध फिलहाल जबलपुर और इंदौर संघ के पार्लर पर उपलब्ध है।country highest gausala