नई दिल्ली। सरकार चाहे जितना भी दावा करे की कोरोना की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से किसी की मौत नहीं हुई, लेकिन हम सब जानते हैं कि लोग उस समय ऑक्सीजन के लिए कैसे दौड़ भाग कर रहे थे। पूरे देश में तब ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मच गया था। अस्पतालों में मरीजों को जगह नहीं मिल रही थी और ऑक्सीजन की सप्लाई पूरी तरह से ठप हो गई थी। ऑक्सीजन के लिए तब भारत को विदेश से सहायता लेनी पड़ी थी।
देश में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है
ऑमिक्रॉन के आने के बाद देश एक बार फिर से कोरोना की मार झेल रहा है। रोजाना संक्रमितों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। डॉक्टर मान रहे हैं कि देश में तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। वहीं आम नागरिक दूसरी लहर की भयावहता को याद कर परेशान है। उसे डर है कि कहीं दूसरी लहर की तरह फिर से देश को उन्हीं तस्वीरों को न देखना पड़े। तो आइए आज हम जानते हैं कि सरकार ऑक्सीजन के मामले में दूसरी लहर की तुलना में कितनी तैयार है।
इस बार सरकार पहले से ज्यादा तैयार
पीछले साल जब अप्रैल में कोरोना की दूसरी लहर ने कहर मचाना शुरू किया था तो पूरे देश में हाहाकार मच गया था। लोग स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए परेशान हो गए थे। वहीं अब एक मीडिया रिपोर्ट की माने तो पिछले साल की तुलना में इस बार कोरोना के मामले बढ़ जाएंगे, लेकिन इस बार अस्पतालों में सुविधाओं की कमी उस प्रकार से नहीं होगी। सरकार ने सबक लेते हुए एक साल के अंदर दूसरी लहर की तुलना में कोविड इंफ्रास्ट्रक्चर को दोगुना कर दिया है।
टूट सकता है एक दिन का रिकॉर्ड
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 13 दिनों में इस बार कोरोना संक्रमण के मामलों में 28 गुना की वृद्धि हुई है। देश में इस वक्त कोरोना के सक्रिय मामलों का आंकड़ा बढ़कर 821,446 पर पहुंच गया है। पिछले साल 7 मई को देश में सबसे ज्यादा 4.40 लाख नए केस सामने आए थे। जो अब तक एक दिन में संक्रमित लोगों का रिकॉर्ड है। लेकिन विशेषज्ञों की माने तो इस बार ये आंकड़ा पार हो सकता है। हालांकि, अधिकारी संक्रमण दर में इतनी खतरनाक तेजी के बावजूद कह रहे हैं कि इस बार पैनिक होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि सरकार ने पहले की तुलना में दोगुनी तैयारी की है।
दक्षिण अफ्रीका के क्या हैं हालात
रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में ओमिक्रॉन पर की गई स्टडी यह दर्शाती है कि भले ही ऑमिक्रॉन लोगों को तेजी से संक्रमित करती है। लेकिन उतनी ही तेजी से साथ यह नीचे भी गिरती है। इसके अधिकांश मरीज हल्के लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले होते है। उन्हें पता भी नहीं चलता और वे ठीक भी हो जाते हैं। जिन्हें पता चलता है, उनके लिए भी घबराने की जरूरत नहीं है। क्योंकि देश की अधिकांश आबादी वैक्सीनेट हो चुकी है। इसलिए संक्रमित व्यक्ति के अस्पताल पहुंचने की आशंका बहुत कम है।
दोगुना ऑक्सीजन उत्पादन
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ो के मुताबिक पिछले साल जब कोरोना पीक पर था तब भारत में ऑक्सीजन उत्पादन की क्षमता 9500 मीट्रिक टन थी, जो अब बढ़कर 19236 मीट्रिक टन पहुंच गई है। वहीं विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इस बार ज्यादातर लोग घर पर ही ठीक हो जाएंगे उन्हें ऑक्सीजन की जरूरत भी नहीं पड़ेगी। क्योंकि ओमिक्रॉन का संक्रमण छाती के ऊपरी हिस्सों तक ही सीमित है।