नई दिल्ली। कोरोना को लेकर पूरी दुनिया परेशान है। इसी बीच एक शोध में खुलासा हुआ है कि कोरोना वायरस 20 हजार साल से भी ज्यादा पहले पूर्वी एशिया में अपना कहर बरपा चुका है। संक्रमण के अवशेष चीन, जापान और वियतनाम के लोगों के डीएनए में मिले हैं। ‘करंट बायोलॉजी’ में प्रकाशित एक शोध रिपोर्ट में यह दावा किया गया है।
39 लाख लोगों की गई है जान
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पूर्वी एशिया के आधुनिक आबादी के 42 जीन में वायरस के कोरोना वायरस परिवार के आनुवंशिक अनुकूल के प्रमाण मिले हैं। बतादें कि वर्तमान में कोरोना वायरस सार्स-सीओवी-2 के कारण फैली महामारी ने दुनिया भर में अब तक 39 लाख से अधिक लोगों की जान ले ली है और इससे अरबों डॉलर का आर्थिक नुकसान हुआ है। इसके अलावा पीछले 20 साल में कोरोना वायरस परिवार से संबंधित मार्स और सार्स वायरस के कारण कई घातक संक्रमण भी पैदा हुए हैं।
महामारी का इतिहास हजारों साल पुराना
ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के यासिने सौइल्मी और रे टॉबलर ने इस शोध को किया है। उनका कहना है कि वैश्विक महामारियां मानव इतिहास जितनी ही पुरानी है। दुनिया ने पहले भी वैश्विक महामारी का समाना किया है। इन्फ्लूएंजा वायरस, स्पैनिश फ्लू, एशियन फ्लू और हांगकांग फ्लू ने केवल 20वीं शताब्दी में ही लाखों लोगों की जान ले ली है। वायरस के कारण पैदा होने वाले महामारी का इतिहास हजारों साल पुराना है।
20 हजार साल पहले लोग कोरोना से संपर्क में आ चुके थे
मालूम हो कि कोई भी वायरस शरीर के अनुकूल होने के बाद कई आनुवांशिक निशान छोड़ जाते हैं। इसी के तहत शोधकर्ताओं ने अपने रिसर्च में पाया कि आनुवांशिक अवशेष आज भी लोगों के जीनोम में मौजूद हैं। शोधार्थियों ने प्राचीन कोरोना वायरस के निशान को पता लगाने के लिए दुनिया भर की 26 देशों के 2500 से अधिक लोगों के जीनोम का अत्याधुनिक कम्प्यूटेशनल विश्लेषण किया। जिसमें मनुष्य के 42 अलग-अलग जीन में अनुकूलन के प्रमाण मिले। यानी आधुनिक पूर्वी एशियाई देशों के पूर्वज करीब 20 हजार साल पहले कोरोना वायरस के संपर्क में आ चुके थे।