नई दिल्ली। देश में अब कोरोना रोधी वैक्सीन की कमी नहीं रहेगी। कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच सरकार ने कोरोना की सभी विदेशी वैक्सीन के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। विदेशी वैक्सीन को इस्तेमाल के पहले ब्रीज ट्रायल की शर्त से भी छूट दे दी गई है। सरकार के इस फैसले के बाद अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना, फाइजर और जानसन एंड जानसन जैसी कंपनियां विदेश में विकसित वैक्सीन का भारत में निर्यात कर सकेंगी और साथ ही भारतीय कंपनियों के साथ मिलकर यहीं उनका उत्पादन भी कर सकेंगी। कमेटी ने WHO से मंजूर वैक्सीन इंपोर्ट करने का सुझाव दिया था।
नहीं होगी वैक्सीन की कमी
डॉ. पॉल ने कहा कि नई छूट मिलने के बाद फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन समेत कोई भी कंपनी विदेशों में बनी अपनी वैक्सीन का भारत में निर्यात कर सकती है और टीकाकरण में तत्काल इसका इस्तेमाल भी शुरू हो जाएगा। लेकिन इनके दुष्प्रभावों को परखने के लिए शुरुआत में वैक्सीन लेने वाले 100 लोगों पर एक हफ्ते तक लगातार नजर रखी जाएगी।
कोविशील्ड-कोवैक्सीन से अलग है स्पुतनिक-वी
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार स्पुतनिक-वी वैक्सीन कोविशील्ड और कोवैक्सीन की तुलना में थोड़ी अलग भी होगी। कोविशील्ड और कोवैक्सीन में एक ही वैक्सीन की दो डोज चार से आठ हफ्ते के बीच दिया जाता है। वहीं स्पुतनिक-वी की दोनों डोज की वैक्सीन अलग-अलग वैक्सीन है और उन्हें तीन हफ्ते यानी 21 दिन के अंदर लेना होता है। पहली और दूसरी डोज में लगने वाली वैक्सीन भी तय है और उनमें अदला-बदली नहीं हो सकती है।