भोपाल। प्रदेश में कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) के ट्रायल डोज से मौत का मामला अब तुल पकड़ता जा रहा है। इस मामले पर सियासत भी तेज हो गई है। राज्यसभा सांसद और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह (Digvijay Singh) ने शनिवार को पीड़ित परिवार से मुलाकात की है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन के ट्रायल के लिए गरीब और भोपाल गैस पीड़ितों को शिकार बनाया जा रहा है। मैं इसकी निंदा करता हूं। साथ ही उन्होंने पीड़ित परिवार के भरण पोषण का भी जिम्मा उठाया है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) ने इसे वैक्सीन को लेकर दुष्प्रचार बताया है। उन्होंने कहा कि अगर वैक्सीन का रिएक्शन होता तो वो तीन दिन के अंदर ही दिखाई दे देता। वैक्सीन पुरी तरीके से सुरक्षित है और हम सबसे पहले इसे इस स्वास्थ्यकर्मियों के लिए उपलब्ध करवाएंगे।
टीका लगने के 9 दिन बाद हो गई मौत
बतादें कि भारत में कोरोना वैक्सीन लगाने के लिए ड्राई रन (Dry run) चल रहा है। सरकार कह रही है कि जल्द ही लोगों को टिके लगाए जाएंगे। लेकिन इससे पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल से एक बुरी खबर सामने आई है। टीला जमालपुरा स्थित सूबेदार कॉलोनी में रहने वाले एक शख्स दीपक मरावी की मौत वैक्सीन ट्रायल के दौरान लगे टीके के बाद हो गई है। 12 दिसंबर को पीपुल्स मेडिकल कॉलेज में दीपक को ‘कोवैक्सीन’ (Covaxine) का ट्रायल टीका लगाया गया था। जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई और अंत में 21 दिसंबर को उसने दम तोड़ दिया। बतादें कि, सरकार ने इस वक्त दो कोरोना वैक्सीन, कोविशिल्ड और कोवैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है। लेकिन दीपक के मौत के बाद वैक्सीन की विश्वसनियता पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
मामले की होगी जांच
वहीं इस पुरे मामले पर स्वास्थ्य मंत्री प्रभुराम चौधरी (Prabhuram Chaudhary) ने कहा कि दीपक की मौत वैक्सीन की वजह से नहीं हुई है। मैं भी एक डॉक्टर हूं। मुझे पता है कि कोई भी वैक्सीन कितने समय में रिएक्शन करता है। दीपक के मुंह से झाग निकल रहा था। इससे साफ है कि उसकी मौत जहर से हुई है। हालांकि कि उन्होंने ये भी कहा कि हर मौत दुखद है और इसकी जांच होगी। अधिकारियों को कहा गया है कि वे खुद सभी वॉलंटियरों से जा कर बात करें और इस मामले की जांच करें।
पैसों के चक्कर में लगवाया था टीका
इधर दीपक की पत्नी ने वैक्सीन और अस्पताल प्रशासन पर कई सवाल खड़े किए है। उनका कहना है कि जब उनके पति को वैक्सीन लगाया गया तब उन्हें पुलिस के माध्यम से ये पता चला कि इन पर वैक्सीन का ट्रायल किया गया है। वो आगे कहती हैं कि मेरे पति रोज मजदूरी करने के लिए जाते थे। इसी दौरान किसी ने उन्हें वैक्सीन लगवाने के बदले 700 रूपए दिलवाने की बात कही और पैसों के चक्कर में ही दीपक ने वैक्सीन का ट्रायल डोज ले लिया। 12 दिसबंर से पहले दीपक मरावी बिल्कुल ठीक था वो रोजाना मजदूरी करने के लिए जाया करता था। लेकिन जैसे ही उस पर टीके का फस्ट ट्रायल किया गया वो बीमार रहने लगा। 17 तारीख को उसने अपने कंधों में दर्द की शिकायत की घरवालों को लगा हल्का-फुल्का दर्द होगा ठीक हो जाएगा। इसके बाद 19 तारीख से उसे उल्टियां आनी शुरू हो गईं। घरवालों ने दीपक को अस्पताल चलने को वोला लेकिन वो राजी नहीं हुआ और अंत में 21 तारीख को उसने दम तोड़ दिया।
टीका लगवाने के बाद घर पर ही रह रहा था
दीपक के बेटे आकाश मरावी ने बताया कि पिता जी टीका लगवाने के बाद प्रोटोकॉल के तहत 12 दिसंबर से घर पर ही थे। वे मजदूरी करने के लिए भी कहीं नहीं जा रहे थे। उन्होंने पहले दिन से ही कमजोरी की शिकायत की थी। इस कारण से हमलोगों ने भी उन्हें घर से कही बाहर जाने नहीं दिया। घर का खर्च चलता रहे इसके लिए मैं और मेरा भाई दोनों काम पे जाया करते थे। मां भी दूसरों के घर में झाडू-पोछा लगाने का काम करती है। वो भी घर पर नहीं थी। छोटे भाई बाहर कहीं खेल रहा था। ऐसे में पिता जी घर पर अकेले थे। जैसे ही मैं घर पहुंचा तो देखा कि वो बेहोश पड़े हैं। मैनें आनन-फानन में उन्हें हमीदिया अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
मौत के बाद दूसरे चरण के टीके के लिए आ रहा है फोन
हमीदिया अस्पताल के इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकोलीगल में ही दीपक का पोस्टमार्टम किया गया। जहां प्राइमरी रिपोर्ट में मौत का कारण हार्ट अटैक और संदिग्ध जहर को बताया गया है। परिजनों का कहना है कि ये जहर उसी वैक्सीन की वजह से बना है जो पीपुल्स हॉस्पिटल में लगाया गया था। उनका कहना है कि हम लोगों ने दीपक की तबियत बिगड़ने के बाद पीपुल्स हॉस्पिटल को भी सुचित किया था। लेकिन वहां से ना तो कोई डॉक्टर आया और ना ही किसी तरह की मदद की गई। गुरूवार 7 जनवरी को उनका फोन आया था कि दीपक को वैक्सीन के दूसरे ट्रायल के लिए भेजो तब हमने कहा कि वो तो अब इस दुनिया में नहीं रहे। यह सुनते ही उन्होंने फोन काट दिया। गौरतलब है कि अगर किसी व्यक्ति को वैक्सीन ट्रायल के लिए वॉलिंटियर बनाया जाता है तो उसे स्वास्थ्य विभाग या जिस हॉस्पिटल में उसका ट्रायल किया गया है उसे ऑब्जर्वेशन में रखता है। लेकिन दीपक के मौत के बाद घरवालों को दूसरे चरण के ट्रायल के लिए अस्पताल से फोन आ रहा है। हालांकि दीपक की मौत वैक्सीन की वजह से हुई या नहीं। इसका अभी कुछ साफ पता नहीं चल पाया है । डॉक्टरों को भी पोस्टमॉटम के फाइनल रिपोर्ट आने का इंतजार है। इसके आने के बाद ही यह साफ हो पाएगा की दीपक मरावी की मौत आखिर वैक्सीन की वजह से हुई है या नहीं।