हाइलाइट्स
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44% आदिवासी बाहुल्य इलाका, आरक्षित ST सीट
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8 विधानसभा सीट रायगढ़ लोकसभा में शामिल
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1999 से बीजेपी से साय का रायगढ़ पर कब्जा
Raigarh Lok Sabha Seat: छत्तीसगढ़ की रायगढ़ लोकसभा सीट पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे की टक्कर मानी जा रही है। इस सीट पर छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद से ही बीजेपी का कब्जा रहा है।
यहां 25 साल से वनवास काट रही कांग्रेस इस बार रायगढ़ फतह करने का प्रयास कर रही है। वहीं बीजेपी इस किले को अपने लिए सबसे मजबूत गढ़ मानती है।
रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) पर आजादी के बाद से 15 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में 7 बार बीजेपी और कांग्रेस ने छह बार जीत हासिल की है।
एक बार निर्दलीय और एक बार दूसरी पार्टी के प्रत्याशी जीते हैं। इस बार 2024 लोकसभा चुनाव बीजेपी ने राधेश्याम राठिया को कैंडिडेट बनाया है। जबकि कांग्रेस ने मेनका देवी सिंह को प्रत्याशी बनाया है।
दो संभागों की विधानसभा से बनी रायगढ़ सीट
रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) छत्तीसगढ़ की सबसे अहम सीट मानी जाती है। इस सीट में बिलासपुर संभाग और सरगुजा संभाग की विधानसभा सीटें शामिल हैं।
कुल आठ विधानसभा सीटों से मिलकर यह लोकसभा सीट बनी है। इसमें जशपुर, कुनकुरी, पत्थलगांव. लैलूंगा, रायगढ़, सारंगढ़, खरसिया और धरमजयगढ़ शामिल है।
इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस की तरफ से हमेशा से कांटे की टक्कर रही है, लेकिन 1999 लोकसभा चुनाव से लेकर साल 2019 के लोकसभा चुनाव तक यहां बीजेपी का कब्जा रहा।
कांग्रेस-बीजेपी में बराबरी की टक्कर
रायगढ़ लोकसभा (Raigarh Lok Sabha Seat) में 8 विधानसभा सीट आती है। इसमें जशपुर के तीन, रायगढ़ के चार और सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के सारंगढ़ विधानसभा शामिल हैं।
इसमें जशपुर के तीनों सीटों पर तो विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीत हासिल की है। वहीं रायगढ़ जिले के तीन विधानसभा में हार का सामना करना पड़ा है, ये सीटें कांग्रेस के पास है।
इसमें धरमजयगढ़, लैलूंगा और खरसिया शामिल है। रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) में ग्रामीण आबादी का प्रतिशत 85.79 है। कुल आबादी में आदिवासियों का हिस्सा 44 फीसदी है जबकि अनुसूचित जाति की आबादी 11.70 फीसदी है।
बीजेपी इसलिए मजबूत
रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) की बात करें तो रायगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। जिले में राठिया समाज की बाहुलता है। इसमें धरमजयगढ़, लैलूंगा और खरसिया में राठिया समाज के लोग अधिक हैं।
धरमजयगढ़, लैलूंगा और खरसिया तीनों विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है। इन सीटों पर राठिया समाज की बाहुलता होने से जातीय समीकरण के अनुसार बीजेपी मजबूत मानी जा रही है।
इसके साथ ही बीजेपी केंद्रीय योजना में मोदी की गारंटी को लेकर लोगों के पास पहुंच रही है।
बीजेपी की कमजोरी
बीजेपी रायगढ़ लोकसभा क्षेत्र (Raigarh Lok Sabha Seat) में मोदी की गारंटी और मोदी फेस के भरोसे है। क्षेत्र में राठिया समाज की बाहुलता है, लेकिन सभी सीटों पर नहीं है।
बीजेपी से जनता की नाराजगी भी सामने आई है। इस लोकसभा सीट की 8 में से तीन सीटों पर ही बीजेपी जीत दर्ज कर पाई है।
कांग्रेस क्यों है मजबूत
मेनका सिंह का परिवार और बहनें राजनीति से जुड़ा हुआ है। सारंगढ़ राजपरिवार का प्रभाव रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव (Raigarh Lok Sabha Seat) में कांग्रेस ने यहां की 8 सीटों में से तीन पर कब्जा किया है।
वोटर का मूड भी कांग्रेस बदल रही है। धरमजयगढ़, लैलूंगा और खरसिया तीनों विधानसभा सीट कांग्रेस के पास है। इसके साथ ही आदिवासी व अन्य समुदाय में मेनका परिवार की अच्छी पैठ है।
पिछले कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान भूपेश बघेल सरकार ने कई विकास कार्य किए हैं, जिसका फायदा मेनका लेना चाहती है।
कांग्रेस की कमजोरी
रायगढ़ लोकसभा सीट (Raigarh Lok Sabha Seat) की बात करें तो रायगढ़ जिला आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। जिले में राठिया समाज की बाहुलता है। इस बार बीजेपी ने राठिया समाज से ही प्रत्याशी बनाया है।
ऐसे में कांग्रेस के लिए इस समाज के वोट को सामधना बड़ा चैलेंज रहेगा। बीजेपी केंद्रीय योजना में मोदी की गारंटी को लेकर लोगों के पास पहुंच रही है। कांग्रेस के मोदी की गारंटी को क्रेक करने में कमजोर सी साबित हो रही है।
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ये प्रत्याशी बने सांसद
1962- आरआरपी के टिकट पर राज्य विजय भूषण सिंहदेव
1967- कांग्रेस से आर गांधा
1971- कांग्रेस से उमेध सिंह
1977- बीएलडी की तरफ से नरहरि प्रसाद सुखदेव साय
1980- कांग्रेस की पुष्पा देवी सिंह
1984- कांग्रेस की पुष्पा देवी
1989- बीजेपी के टिकट पर नंद कुमार साय
1991- कांग्रेस की तरफ से पुष्पा देवी सिंह
1996- बीजेपी के नंदकुमार साय
1998- कांग्रेस के अजीत जोगी
1999- बीजेपी के विष्णुदेव साय
2004- बीजेपी की तरफ से विष्णुदेव साय
2009- बीजेपी के विष्णुदेव साय
2014- बीजेपी के विष्णुदेव साय
2019- बीजेपी से गोमती साय