TS Singh Deo: कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और छत्तीसगढ़ के पूर्व डिप्टी सीएम टीएस सिंहदेव को AICC ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है। उन्हें मेनिफेस्टो कोआर्डिनेशन कमेटी का प्रभारी बनाया गया है, जिसमें उन्हें 4 राज्यों – हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड के मेनिफेस्टो समिति की जिम्मेदारी दी गई है।
यह जिम्मेदारी उनके पिछले अनुभव को देखते हुए दी गई है, जब उन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के घोषणा पत्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उस घोषणा पत्र के आधार पर कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में सत्ता हासिल की थी। उनके साथ अमिताभ दुबे का नाम भी शामिल किया गया हैं। अमिताभ दुबे लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के घोषणापत्र समिति के सदस्य थे।
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2018 में टीएस सिंहदेव ने निभाई थी महत्वपूर्ण भूमिका
विधानसभा चुनाव 2018 में टीएस सिंहदेव ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने पार्टी के लिए जन घोषणा पत्र तैयार करने में अहम योगदान दिया था, जिसमें उन्होंने सभी वर्गों से मुलाकात की और उनकी समस्याओं को समझा।
उन्होंने व्यापारियों, किसानों, मजदूरों और कर्मचारी संगठनों से चर्चा कर जन घोषणा पत्र तैयार किया और लोगों के बीच जाकर उनकी नब्ज टटोली। इस जन घोषणापत्र की महत्वपूर्ण भूमिका रही विधानसभा चुनाव जीतने में। इसके बाद से सिंहदेव का कद और बढ़ गया।
सरगुजा के महाराजा हैं टीएस सिंहदेव
सरगुजा के महाराजा टीएस सिंहदेव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को हुआ था। उनका पूरा नाम त्रिभुवनेश्वर शरण सिंहदेव है। उन्हें अपने क्षेत्र अंबिकापुर में मुख्यालय के साथ सरगुजा के वर्तमान महाराजा के रूप में जाना जाता है, हालांकि वह सरगुजा के सिंहासन पर बैठने वाले सबसे अंतिम राजा हैं।
2013 के विधानसभा चुनाव के दौरान, वह सबसे अमीर उम्मीदवार थे। वह राज्य विधानसभा में अपनी पूर्ववर्ती रियासत की राजधानी अंबिकापुर का प्रतिनिधित्व करते हैं। उनकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनके क्षेत्र के लोग उन्हें “टीएस बाबा” के नाम से बुलाते हैं।
अंबिकापुर से तीन बार विधायक हैं सिंहदेव
टीएस सिंहदेव ने साल 2008 में पहली बार छत्तीसगढ़ विधानसभा में अंबिकापुर से जीत हासिल की थी। इसके बाद, 2013 में उन्होंने फिर से इसी क्षेत्र से जीत दर्ज की और विधानसभा पहुंचे। उन्हें 6 जनवरी 2014 को नेता प्रतिपक्ष चुना गया।
सिंहदेव ने 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी को भारी बहुमत से जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने अपने भाजपा प्रतिद्वंद्वी अनुराग सिंह देव को 39,624 वोटों के अंतर से हराया था। हालांकि बाबा को 2023 चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है।