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Manipur Violence: मणिपुर में रोका गया कांग्रेस नेता राहुल गांधी का काफिला, जानें क्यों रोका गया काफिला

मणिपुर पुलिस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का काफिला हिंसा की आशंका के कारण बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर में रोक दिया।

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Bansal news
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इम्फाल।  मणिपुर पुलिस ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी का काफिला हिंसा की आशंका के कारण बृहस्पतिवार को बिष्णुपुर में रोक दिया। इस बीच कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली सरकार हिंसा प्रभावित राज्य में गांधी की यात्रा को विफल करने का प्रयास कर रही है।

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हिंसा की आशंका के चलते काफिले को रोका गया

क्षेत्र में राहत शिविरों का दौरा करने के लिए चुराचांदपुर जा रहे गांधी के काफिले को राज्य की राजधानी से लगभग 20 किलोमीटर दूर बिष्णुपुर में पुलिस ने रोक दिया। इससे पहले वह दिल्ली से इम्फाल पहुंचे थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि रास्ते में हिंसा की आशंका के चलते काफिले को रोका गया।

पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उनकी सुरक्षा को खतरा है

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘उनकी सुरक्षा को खतरा है। हम राहुल गांधी को आगे बढ़ने देने का जोखिम नहीं उठा सकते।’’कांग्रेस ने हालांकि आरोप लगाया कि केंद्र और राज्य की भाजपा सरकारें गांधी की यात्रा को रोकने के लिए ‘‘निरंकुश तरीकों’’ का इस्तेमाल कर रही हैं।

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट कर जताया विरोध

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने ट्वीट किया, ‘‘डबल इंजन वाली विनाशकारी सरकारें श्री राहुल गांधी की लोगों तक पहुंच को रोकने के लिए निरंकुश तरीकों का इस्तेमाल कर रही हैं। यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है और सभी संवैधानिक तथा लोकतांत्रिक मानदंडों का उल्लंघन है।’’

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काफिले पर कुछ फेंके गए पत्थर

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कीशम मेघचंद्र ने आरोप लगाया कि गांधी के काफिले को रोकने का आदेश मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की ओर से आया था क्योंकि ‘‘हर कोई उनका स्वागत कर रहा था।’’ पुलिस सूत्रों ने कहा कि बिष्णुपुर जिले के उटलू गांव के निकट राजमार्ग पर टायर जलाए गए और काफिले पर कुछ पत्थर फेंके गए।

100 से अधिक लोगों की जा चुकी है जान

एक पुलिस अधिकारी ने कहा, ‘‘हमें ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति की आशंका है और इसलिए एहतियातन काफिले को बिष्णुपुर में रुकने का अनुरोध किया।’’ गौरतलब है कि मणिपुर में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।

आदिवासी एकजुटता मार्च

मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं। मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है। वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है।

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https://twitter.com/AHindinews/status/1674346643502825473?s=20

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