वायरनाड से कांग्रेस सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म कर दी गई है। यानि अब वो सांसद नही है और वो आने वाले 6 सालों तक चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। राहुल गांधी पर मोदी सरनेम को लेकर मानहानि का केस दर्ज कराया गया था जिसके बाद बीते दिन सूरत कोर्ट ने राहुल गांधी को दो साल की सजा सुनाई थी, वहीं आज लोकसभा ने कानून के तहत राहुल गांधी की सदस्यता खत्म कर दी।
देश में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी सांसद की सदस्यता को रद्द किया गया हो, इससे पहले इंदिरा गांधी की भी सदस्यता को रद्द किया गया था, लेकिन इंदिरा गांधी ने जो दम भरी थी की देश में पूर्व बहुमत के साथ सरकार बनाई थी।
दरअसल, इमरजेंसी खत्म होने के बाद विपक्षी नेताओं ने कांग्रेस के खिलाफ एक मोर्चा खड़ा किया था, और मोर्चे का नेतृत्व जय प्रकाश नारायण कर रहे थे। साल 1977 के आम चुनाव में इंदिरा गांधी समेत कांग्रेस को बुरी हार का समाना करना पड़ा था। साल 1978 में कर्नाटक के चिकमंगलूर सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें इंदिरा गांधी ने समाजवादी नेता वीरेंद्र पाटिल को 70 हजार से ज्यादा वोटों से हराया, लेकिन कुछ ही महीनों बाद इंदिरा गांधी की सदस्यता को रद्द कर दिया गया।
संसद से सदस्यता रद्द होने के बाद इंदिरा गांधी ने फिर से दम भरना शुरू कर दिया। इंदिरा ने बिहार से लेकर दक्षिण तक कांग्रेस में जान फूंक दी। जिसका नतीजा यह हुआ की साल 1980 में जनता पार्टी की सरकार गिर गई। इसके बाद आम चुनाव की घोषणा हुई, जिसमें इंदिरा की राजनीतिक लड़ाई ने कांग्रेस की वापसी करा दी। कांग्रेस ने देश की 529 लोकसभा सीटों में से 363 सीटों पर जीत दर्ज की।
क्या राहुल की रद्द सदस्यता बदलेगी पार्टी का रूख?
अब राहुल गांधी की सदस्यता रद्द हो गई है। वही अगले साल लोकसभा के चुनाव होने है। क्या ऐसे में कांग्रेस भारतीय राजनीति में बदलाव ला पाएगी? क्या इंदिरा गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद देश में सरकार बनी थी। तो क्या अब राहुल की सदस्यता खत्म होने के बाद देश में कांग्रेस अपनी सरकार बना पाएगी? क्या राहुल गांधी वापस ला पाएंगे 1980 का दौर? यह देखना दिलचस्प होगा।