हाइलाइट्स
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दिव्यांग शिक्षक मोहन सिंह का जुनून से कर दिखाया कमाल
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सागर जिले के गढ़ाकोटा के सतौआ का स्कूल बना मिसाल
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इस सरकारी स्कूल के स्टूडेंट फर्राटेदार बोलते हैं इंग्लिश
School Admission: मध्य प्रदेश के सागर जिले में एक सरकारी स्कूल ऐसा है जो किसी प्रायवेट स्कूल से कम नहीं है।
यहां पदस्थ एक दिव्यांग टीचर के जुनून ने इस स्कूल की तस्वीर बदलकर रख दी है।
इस इलाके में हालात ऐसे हैं कि यहां एडमिशन के लिए होड़ लगी रहती है। पढ़िए गढ़ाकोटा से विकास जैन की रिपोर्ट…
नए इनोवेशन के लिए सुर्खियां बटोरता है ये स्कूल
इस बेहतर शिक्षा के पीछे जिस शख्स का हाथ है उसकी कहानी भी आपको जरूर जाननी चाहिए।
मोहन सिंह जो एक दिव्यांग हैं, उन्होंने अपने स्कूल को उस मुकाम पर पहुंचाया। जहां लाखों रूपए फीस लेकर एडमिशन (School Admission) देने वाले बड़े स्कूल भी नहीं पहुंच पाते।
हर साल ये स्कूल अपने नए इनोवेशन के लिए सुर्खियां बटोरता है। हाल ही में इस स्कूल की एक बच्ची को इंस्पायर अवार्ड से नवाजा गया है।
दीवार पर लिखे विचारों को अपनाते हैं बच्चे
सफल और असफल दोनों ही विद्यार्थियों के पास दिन में 24 घंटे का वक्त जरूर होता है। ये विचार सागर जिले के सरकारी स्कूल सतौआ की दीवारों पर लिखा है।
इस विचार को इस स्कूल में एडमिशन (School Admission) लेने वाले हर बच्चे ने बहुत बेहतर ढंग से अपनाया है। ये स्कूल अपने आप में अनोखा है।
हर महीने स्टूडेंट का होता है सम्मान
इस स्कूल के बच्चों ऐसी अंग्रेजी बोलते हैं, जो अच्छे-खासे इंग्लिश मीडियम स्कूलों के बच्चे भी नहीं बोल पाते। टीचर मोहन सिंह हर महीने स्टूडेंट्स का सम्मान भी करते हैं। जिससे उनका मनोबल बरकरार रहता है।
दिव्यांग टीचर मोहन का ये है सपना
मोहन सिंह का सपना है कि पैरेंट्स एडमिशन (School Admission) के लिए प्राइवेट स्कूलों की जगह सरकारी स्कूलों को महत्व दें।
उनका कहना है कि वो अपने इस एजुकेशन पैटर्न से उन सभी लोगों का ध्यान खींचना चाहते हैं जिनका ये सोचना है कि सरकारी स्कूल बेहतर नहीं होते हैं।
इस स्कूल को देखकर बदलती है सोच
बहरहाल देश में सरकारी स्कूलों को कभी महत्व नहीं दिया जाता। खराब रिजल्ट, इंफ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं की वजह से वे हमेशा साइडलाइन ही रहते हैं, लेकिन उम्मीद है कि इस स्कूल को देखकर लोगों की सोच जरूर बदलेगी।