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बंगाल में अपराजिता बिल पास: महिला सुरक्षा के लिए नया कानून लाई ममता सरकार, रेप के गंभीर केस में आरोपी को 10 दिन में फांसी

Kolkata Anti Rape Bill: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद

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Aman jain
Kolkata Anti Rape Bill

Kolkata Anti Rape Bill

Kolkata Anti Rape Bill: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में 9 अगस्त को एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या के बाद पश्चिम बंगाल (Kolkata Rape and Murder Case) की राज्‍य सरकार ने विधानसभा में एंटी रेप बिल पेश किया है। इस बिल को विधानसभा में पास कर दिया गया है। अब बिल आगे राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। उनके साइन के बाद यह कानून बन जाएगा।

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अभी तक मिली जानकारी की मानें तो इस बिल में अगर आरोपी व्‍यक्ति के खिलाफ सारे सबूत सही पाए जाते हैं तो उस दोषी को 10 दिन में मौत की सजा देने और मामले में पुख्‍ता सबूत न मिलने की स्थिती में पुलिस को 36 दिन में जांच पूरी करने का प्रावधान रखा गया है। बिल पारित करने के लिए 2 सितंबर से 2 दिन का विशेष विधानसभा सत्र बुलाया गया था। इस खास सत्र में ये बिल पास कर दिया गया है।

इस विधेयक की सबसे खास बात यह है कि राज्‍य में भाजपा भी इस बिल का समर्थन कर रही है। बीजेपी नेता ने रविवार को कहा कि हमने फैसला किया है कि हम ममता बनर्जी के इस विधेयक का समर्थन करेंगे।

आपको बता दें कि कानूनी विशेषज्ञों का कहना ​​है कि राज्य में इस कानून को लागू करने के लिए राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी होगी। हालांकि राज्य द्वारा ऐसा संशोधन लाना संवैधानिक रूप से बिल्कुल सही है। ये विधेयक मंगलवार 03 सितंबर को विधानसभा में पेश किया गया था और इसे अब पास कर दिया गया है।

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नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने दिया बयान

हम कानून को तत्काल लागू करना चाहते हैं, यह राज्य सरकार जिम्मेदारी है। हम परिणाम चाहते हैं, कोई बंटवारा नहीं। हम पूरा समर्थन करते हैं। मुख्यमंत्री को जो कहना है कह सकती हैं लेकिन गारंटी देनी होगी कि यह बिल तुरंत लागू होगा।

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल का बयान

हमने केंद्रीय कानून में मौजूद खामियों को दूर करने की कोशिश की है। विपक्ष को राज्यपाल से विधेयक पर हस्ताक्षर करने के लिए कहना चाहिए, उसके बाद इसे अधिनियमित करना हमारी जिम्मेदारी है।

बलात्‍कारियों को मिलेगा मृत्‍युदंड

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल विधानसभा बलात्कारियों को सजा के तौर पर मृत्युदंड देने का विधेयक पेश करने जा रही है। इस विधेयक के पास होते ही ये कानून बन जाएगा और फिर इसके बाद बलात्‍कारियों को उनके किए गए अपराध के लिए फांसी तक की सजा दी जा सकती है। पश्चिम बंगाल के कैबिनेट ने 28 अगस्त को बलात्कार को रोकने और ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा देने के उद्देश्य से एक नया विधेयक पेश करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी।

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मृत्युदंड का रखा प्रस्ताव

मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश बलात्कार विरोधी विधेयक का नाम अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 होगा। पश्चिम बंगाल सरकार के बलात्कार विरोधी विधेयक में बलात्कार के दोषियों के लिए मृत्युदंड या मृत्युदंड का प्रस्ताव रखा है। आपको बता दें कि मृत्युदंड देने का प्रावधान तब है जब अपराध के परिणामस्वरूप पीड़िता की मृत्यु हो जाती है या वह बेहोश हो जाती है। इसमें दोषियों के लिए पैरोल के बिना आजीवन कारावास की सजा की भी मांग की गई है।

 क्‍या है नए कानून का नाम

आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी महिला और बाल सुरक्षा पर एक बड़ा कानून लाने जा रही हैं। इस कानून को अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक 2024 (Aparajita women and child bill 2024) के नाम से जाना जाएगा। CM ममता बनर्जी की टिप्पणी के बाद राज्य कैबिनेट ने बिल को हरी झंडी दे दी है, लेकिन जूनियर डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अपील ठुकरा दी है। वे आंदोलन वापस नहीं लेंगे। इस ऐलान के बाद लालबाजार इलाके में जूनियर डॉक्टरों का धरना जारी रहा।

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CM ममता बनर्जी ने क्‍या कहा

28 अगस्त को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि अगर राज्य सरकार के पास शक्ति होती तो वह ट्रेनी डॉक्टर मामले में आरोपी को मृत्युदंड दिला देती। उन्होंने कहा कि 'अगर राज्य सरकार के पास शक्ति होती तो हम डॉक्टर की हत्या के आरोपी को 7 दिनों के भीतर मृत्युदंड दिला देते। हम डॉक्टर के बलात्कार-हत्या मामले में आरोपी को मृत्युदंड दिलाने के लिए आंदोलन शुरू करेंगे।'

क्‍या है इसका कानूनी पक्ष

वरिष्ठ अधिवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकीलों की मानें तो 'आपराधिक कानून समवर्ती सूची का मामला है, इसलिए राज्य सरकार और केंद्र सरकार आपराधिक कानून बना सकते हैं, हालांकि अगर इस मामले में पहले से ही केंद्रीय कानून लागू हैं तो राज्य सरकार के पास राज्य संशोधन पारित करने का एकमात्र तरीका अनुच्छेद 254 के तहत इसे मंजूरी के लिए आरक्षित करना और केंद्र सरकार की सहमति लेना है।'

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