हाइलाइट्स
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नाथ के गढ़ पर ‘कमल’ की नजर
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आकांक्षी सीट पर पूरी होगी आकांक्षा?
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बीजेपी की क्लीन स्वीप की ख्वाहिश
Loksabha Seat Chhindwara: देश के चुनावी माहौल रंगत पूरे देश में दिखाई दे रही है। पहले चरण में कल यानी 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। लेकिन देश की 101 सीटें एक तरफ और छिंदवाड़ा एक तरफ।
मध्यप्रदेश की छिंदवाड़ा सीट (Loksabha Seat Chhindwara) पर कमल की प्रतिष्ठा दांव पर है। दरअसल यहां Kamalnath और बीजेपी के कमल के बीच सीधी टक्कर नजर आ रही है।
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
24 के रण में उतरी BJP ने छिंदवाड़ा सीट (Loksabha Seat Chhindwara) पर पूरी ताकत झोंक दी। केंद्रीय नेतृत्व के साथ-साथ स्टेट लीडरशिप ने भी नाथ के गढ़ में मोर्चा संभाला।
दरअसल छिंदवाड़ा लोकसभा सीट बीजेपी के लिए कई मायनों में खास है। इस बार बीजेपी हर हाल में छिंदवाड़ा सीट जीतकर अपने अरमान पूरे करना चाहती है।
छिंदवाड़ा में 45 साल से कांग्रेस का कब्जा
45 साल से छिंदवाड़ा लोकसभा सीट (Loksabha Seat Chhindwara) पर कांग्रेस या फिर यूं कहें की कमलनाथ परिवार का कब्जा रहा है।
इस सीट से 40 साल कमलनाथ सांसद रहे, एक बार उनके बेटे नकुलनाथ तो एक बार उनकी पत्नी अलकानाथ भी इस सीट से चुनीं गईं हैं।
नाथ के गढ़ पर ‘कमल’ की नजर
पिछले लोकसभा चुनाव (Loksabha Seat Chhindwara) में मध्यप्रदेश की 28 लोकसभा सीट पर जीत का परचम लहराने वाली बीजेपी की ख्वाहिश इस बार क्लीन स्वीप की है।
हालांकि, इस क्लीन स्वीप छिंदवाड़ा लोकसभा सीट सबसे बड़ी बाधा है। बीजेपी के लिए इस सीट की अहमियत ऐसे समझिए कि मध्यप्रदेश में 2023 में हुए विधानसभा चुनाव के रिजल्ट के तुरंत बाद पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान छिंदवाड़ा पहुंचे थे।
विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत के बाद शिवराज ने ये बयान भी दिया था कि- इस बार वो पीएम मोदी को छिंदवाड़ा सीट जीतकर तोहफे में देंगे।
छिंदवाड़ा यानी बीजेपी के लिए चुनौती
आपको बता दें की छिंदवाड़ा लोकसभा सीट (Loksabha Seat Chhindwara) हमेशा से बीजेपी के लिए चुनौती रही है। इसी वजह से बीजेपी ने इस सीट को आकांक्षी सीटों में शामिल किया था।
दरअसल बीजेपी ने उन सीटों के लिए अलग से रणनीति तैयार की थी, जहां पार्टी ने कई सालों से जीत दर्ज नहीं की। उन सभी सीटों को आकांक्षी सीट नाम दिया गया था।
छिंदवाड़ा के रण में उतरे दिग्गज
मध्यप्रदेश बीजेपी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi), केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के लिए इस सीट पर फतह हासिल करना चाहती है।
इसी रणनीति के तहत छिंदवाड़ा में नड्डा-शाह के कई दौरे भी हुए। यानी बीजेपी ने इस बार सारा जोर छिंदवाड़ा में लगाया, कमलनाथ के करीबियों की बीजेपी में एंट्री कराना भी इसी स्ट्रेटजी का हिस्सा था।
कमलनाथ ने भी बनाया नाक का सवाल
इस चुनावी महासंग्राम में कमलनाथ (Kamalnath) ने भी बीजेपी को हर बार मुंहतोड़ जवाब दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अपने बेटे को जिताने के लिए हर वक्त मैदान में डटे रहे।
कमलनाथ ने इस चुनाव को अपनी नाक का सवाल बनाते हुए पूरा प्रदेश छोड़ छिंदवाड़ा में डेरा जमा लिया। अपने प्रचार अभियान के दौरान कमलनाथ कई बार भावुक हुए तो कई बार राजनीतिक मंचो से इमोशनल कार्ड भी खेला।
दोनों ‘कमल’ के लिए जीत जरूरी
मध्यप्रदेश में पहले चरण में छिंदवाड़ा (Chhindwara) के अलावा बालाघाट, मंडला, जबलपुर, सीधी और शहडोल में वोट डाले जाने हैं। लेकिन सबकी नजर छिंदवाड़ा पर है।
बीजेपी किसी भी कीमत पर नाथ का किला फतह करना चाहती है। क्योंकि बीजेपी ये बखूबी जानती है कि इसका संदेश पूरे देश में जाएगा, तो वहीं कमलनाथ भी इस हकीकत से बखूबी वाकिफ है कि छिंदवाड़ा में जीत उनके परिवार के राजनीतिक वजूद के लिए कितनी जरूरी है।
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गढ़ का संग्राम देगा देश को पैगाम
इस हॉटसीट पर बीजेपी को मिशन पूरा होने का यकीन है तो नाथ परिवार को उम्मीद है कि छिंदवाड़ा (Chhindwara) से उनके रिश्ते महसूस कर जनता हाथ से हाथ जरूर जोड़ेगी।
बहरहाल इस सीट पर कांग्रेस जीते या बीजेपी गढ़ के संग्राम की ये लड़ाई पूरे देश को नया पैगाम जरूर दे जाएगी।