हाइलाइट्स
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ट्रायल के लिए सहमति वाले मरीजों को सुविधाएं
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पहले चरण की शुरुआत कॉस्मेटिक से होगी
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मुफ्त में किया जाएगा ट्रायल मरीजों का इलाज
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के लोगों के लिए अच्छी खबर है। प्रदेश के भिलाई में एक प्राइवेट हॉस्पिटल को अमेरिका की एक ड्रग एजेंसी ने बीमारियों पर परीक्षण कर दवा का निर्माण होगा।
इसके साथ ही नई दवाओं का मरीजों पर होने वाला असर भी जाना जा सकेगा। इस दौरान देखा जाएगा जिनमें ऐसी बीमारी, जिसमें जो दवाई बीमारी को ठीक करने में मदद नहीं कर पा रही है, उन पर रिसर्च किया जाएगा।
इसके साथ ही नई दवाइयों का जाने के लिए भिलाई के स्पर्श मल्टीस्पेशिलिटी हॉस्पिटल में क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा। इसको एजेंसी ने सेंटर का प्रमाण पत्र दिया है।
जानकारी मिली है कि अमेरिका की ड्रग परीक्षण एवं रेगुलेशन एजेंसी (एफडीए) मैप ने स्पर्श हॉस्पिटल (Chhattisgarh News) का निरीक्षण किया था।
निरीक्षण करने के बाद स्पर्श हॉस्पिटल को क्लिनिकल ट्रायल सेंटर का प्रमाण पत्र दिया गया है। अब यहां सामान्य बीमारी से लेकर लाइलाज बीमारी तक के लिए इस्तेमाल की जा रही नई दवाओं पर रिसर्च किया जाएगा।
पहली संस्था जिसे चुना गया
बता दें कि बीमारियों (Chhattisgarh News) के लिए इस्तेमाल की जा रही नई दवाओं पर शोध होगा। इसके लिए सभी नई दवाइयां अमेरिकी ड्रग रेगुलेशन अथॉरिटी यानी एफडीए से लेकर भारतीय रेगुलेटरी तक तीन चरणों में जांच की जा चुकी है।
जिनका असर मरीजों पर परखा जाएगा। बता दें कि स्पर्श प्रदेश की पहली संस्था है, जिसे क्लिनिकल ट्रायल के लिए चुना है। इसे चुनने की वजह सभी सुविधा और एनएबीएच से मान्यता को परखने के बाद ही एजेंसी ने निर्णय लिया है।
गंजेपन की बीमारी से शुरू होगा ट्रायल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अमेरिकी रेगुलेटरी अफेयर्स एंड क्वालिटी एस्योरेंस (Chhattisgarh News) एजेंसी के डॉ. मुकेश कुमार ने एक मीडिया हाउस को जानकारी दी कि स्पर्श हॉस्पिटल को क्लिनिकल ट्रायल सेंटर बनाने का निर्णय लिया।
लेकिन इससे पहले सभी मापदंडों पर संस्था की जांच करने के साथ ही परखा है। हॉस्पिटल में एंड्रोजेनिक एलोपेशिया यानी गंजेपन की बीमारी से क्लिनिकल ट्रायल की शुरुआत की जाएगी।
जो इलाज कराकर थक गए, उन पर रिसर्च
बता दें कि एजेंसी (Chhattisgarh News) के द्वारा उन लोगों पर फोकस किया जाएगा। जिनमें वह एलोपेथी इलाज कराकर थक गए हैं। इसके बाद भी उनकी बाल झड़ने की समस्या दूर नहीं हुई, दवाएं बेअसर हो गई।
ऐसे मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा और नई दवाओं को आजमा कर समाधान खोजेंगे। पहले चरण में इसकी शुरुआत कॉस्मेटिक से की जा रही है।
इसके बाद सिकलिंग, डायलिसिल वाले मरीज, कैंसर, मल्टीऑर्गन फेलुअर बीमारी का क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा।
भारत में 77 दवाओं का ट्रायल
हॉस्पिटल (Chhattisgarh News) के एमडी डॉ. दीपक वर्मा ने एक मीडिया हाउस को जानकारी दी कि नई दवाओं के क्लिनिकल ट्रायल में भारत काफी पीछे है।
बीते साल में अमेरिका में 44 हजार दवाओं का क्लिनिकल ट्रायल हुआ। वहीं देश में 77 का ही ट्रायल किया गया है।
उन्होंने कहा कि स्पर्श में इस क्लिनिकल ट्रायल की जानकारी जिला एवं राज्य स्तर पर ड्रग कंट्रोल बॉडी को सूचना दी जाएगी।
क्लिनिकल ट्रायल का हिस्सा बन रहे मरीजों की सेफ्टी प्रोफाइल का विशेष ध्यान रखकर शोध किया जाएगा।
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निशुल्क होगा मरीजों का उपचार
अस्पताल में क्लिनिकल ट्रायल (Chhattisgarh News) टीम प्रमुख डॉ. संजय गोयल ने एक मीडिया संस्थान को जानकारी दी कि क्लिनिकल ट्रायल उन मरीजों के लिए मुफ्त इलाज का विकल्प है, जिसमें परंपरागत ट्रीटमेंट से ठीक नहीं हुआ है।
ऐसे मरीज नए इलाज का लाभ लेना चाहते हैं। इस दौरान मरीजों के हितों का विशेष ध्यान रखकर क्लिनिकल ट्रायल किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह ट्रायल अस्पताल में आने वाले सामान्य मरीजों पर नहीं होगा। यह सिर्फ गंजेपन के इलाज की उम्मीद को लेकर सेंटर पहुंचने वाले मरीज ही पहले चरण का हिस्सा बनेंगे।
इसमें नई दवा का उपयोग कर मरीजों को फायदा दिलाने का प्रयास होगा। क्लिनिकल ट्रायल की अनुमति और रजामंदी देने वाले मरीजों को सुविधाएं दी जाएंगी।