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छत्तीसगढ़ के इस शहर में घुसा बाघ: मच गया हड़कंप, जानें वन विभाग ने फिर उसके साथ क्या किया

Chhattisgarh Tiger: छत्तीसगढ़ के इस शहर में घुसा बाघ, मच गया हड़कंप, फिर वन विभाग ने उसे ट्रेंक्यूलाइज कर नियंत्रण में लिया

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BP Shrivastava
Chhattisgarh Tiger

Chhattisgarh Tiger: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के पास कसडोल शहर में उस वक्त हड़कंप मच गया जब बाघ बस्ती के बहुत पास आ गया। इसी दौरान बाघ ग्राम कोट में एक पैरे (पराली) के ढेर में छिप गया। उसकी एक्टिविटी पर ग्रामीणों के साथ वन विभाग की भी नजर थी, सो बाघ को ट्रेंक्यूलाइज (Tranquilize) किया गया, कुछ देर होश में रहने के बाद बेहोश हो गया।

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वन विभाग ने किया बाघ को काबू में

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ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम भी ग्राम कोट में पहुंच गई थी। लोग उस पर नजर रखे हुए थे और बाघ (Chhattisgarh Tiger) उनकी नजर से छुपने का प्रयास कर रहा था। इस दौरान उसे गांव में एक पैरे का ढेर सबसे सुरक्षित जगह लगी और उसमें छिप गया। इसी बीच वन विभाग के कर्मचारियों ने बाघ को ट्रेंक्यूलाइज किया। इसके बाद भी वह कुछ देर तक होश में रहा और पास के पेट्रोल पंप के पीछे की ओर आ गया। उसे ट्रेंक्यूलाइज के बाद भी होश में देख वन टीम समेत लोगों धड़कनें बढ़ गईं, लेकिन फिर उसे तेजी से बेहोशी आ गई। और जमीन पर लेट गया। इसके बाद वन विभाग की टीम ने उसे अपने नियंत्रण में लिया।

शहर के पास आने से बढ़ी लोगों की धड़कनें

बाघ (Chhattisgarh Tiger) के शहर के पास आने से लोगों की चिंताएं बढ़ गई थी, कि इसे कैसे नियंत्रित किया जाएगा। वन विभाग के अमले ने योजना के मुताबिक पूरे टास्क को अंजाम दिया।बताया जाता है कि यह बाघ ओडिशा के रास्ते से बारनवापारा पहुंचा होगा। आठ महीने से यह बारनवापारा में सक्रिय था। बाघ की सक्रियता केवल कोर एरिया में रहे इसके लिए वन विभाग ने पर्याप्त प्रयास किए थे। जब बाघ का मूवमेंट कोर एरिया से बाहर होने की खबर मिली तो वन अमले ने सतर्कता से अपनी कार्रवाई को पूरा किया। अधिकारियों के मुताबिक अब बाघ को किसी टाइगर रिजर्व में छोड़ा जाएगा ताकि इसे और भी सुरक्षित परिवेश मिल सके।

बाघ को लगाया रेडियो कालर

वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि बाघ (Chhattisgarh Tiger)  को रेडियो कालर लगा दिया गया है। इससे बाघ के मूवमेंट पर नजर रखने में आसानी होगी। इसके रक्त का नमूना भी लिया गया है। बाघ पूरी तरह स्वस्थ है।

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उल्लेखनीय है कि बाघ (Chhattisgarh Tiger) के शहर के पास होने की सूचना प्राप्त होते ही वन विभाग और वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी कानन पेण्डारी चिड़ियाघर बिलासपुर के डॉ. पी.के. चंदन, वन्यप्राणी चिकित्सा अधिकारी नंदन वन जू और जंगल सफारी नवा रायपुर डॉ. राकेश वर्मा तथा डॉ. रश्मिलता राकेश पशु चिकित्सा अधिकारी कसडोल के टीम ने तत्काल ग्राम कोट पहुंच कर ग्रामीण धीराजी के बाड़ी में रखे पैरा के ढेर में छुपे बाघ को ट्रेंक्यूलाइज करने का प्रयास किया गया।

वन विभाग के ये अधिकारी रहे मौजूद

इस अवसर पर मुख्य रूप से मुख्य वन संरक्षक और वन बल प्रमुख रायपुर व्ही. श्रीनिवास राव प्रधान, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (व.प्रा.) प्रेम कुमार, मुख्य वन संरक्षक रायपुर वृत्त रायपुर राजु अगसिमनी, मुख्य वन संरक्षक (व.प्रा.) और क्षेत्र संचालक उदन्ती सीतानदी टायगर रिजर्व रायपुर श्रीमति सतोविशा समाजदार, वनमण्डलाधिकारी बलौदाबाजार मयंक अग्रवाल, आनंद कुदरया अधीक्षक बारनवापारा भी मौजूद थे।

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सीएम साय ने वन विभाग को दी बधाई, यह भी कहा

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सीएम विष्णु देव साय ने वन विभाग के अधिकारियों को बाघ (Chhattisgarh Tiger) के सफल रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए बधाई दी है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ को बाघों के संरक्षण और संवर्धन के लिए 'गुरू घासीदास-तमोर पिंगला टायगर रिजर्व' के रूप में एक नया टाइगर रिजर्व मिल गया है। उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम टाइगर रिजर्व और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद यह देश का तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है। इस टाइगर रिजर्व के बनने से बाघों को नैचुरल हैबिटेट में बेहतर परिवेश मिल मिलेगा और इनके बेहतर संवर्धन के अवसर मिलेंगे। छत्तीसगढ़ में अब 4 बाघ रिजर्व हो गए हैं, जिससे प्रोजेक्ट टाइगर के तहत राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण से मिल रही तकनीकी और वित्तीय सहायता से इस प्रजाति के संरक्षण को मजबूती मिलेगी। उल्लेखनीय है कि एक हफ्ते पहले ही टूरिस्टों ने अचानकमार में टाइगर साइट किया था। टाइगर रिजर्व बनने से एक बार छत्तीसगढ़ फिर बाघों से गुलजार हो जाएगा।

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