Chhattisgarh Tiger Conservation: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) ने बाघों (Tigers) के संरक्षण में ऐतिहासिक सफलता दर्ज की है। वर्ष 2022 में हुई गणना में जहां बाघों की संख्या 17 थी, वहीं साल 2025 में यह बढ़कर 35 हो गई है। यह उपलब्धि न केवल प्रदेश बल्कि पूरे भारत (India) के लिए गर्व का विषय है।
राष्ट्रीय उद्यान और टाइगर रिजर्व का अहम योगदान
छत्तीसगढ़ के अचानकमार टाइगर रिजर्व (Achanakmar Tiger Reserve), इंद्रावती टाइगर रिजर्व (Indravati Tiger Reserve), गुरु घासीदास तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व (Guru Ghasidas Tamor Pingla Tiger Reserve) और सीतानदी उदंती क्षेत्र (Sitanadi Udanti) में बाघ संरक्षण के लिए प्रभावी प्रबंधन किए गए।
इन इलाकों में न सिर्फ बाघों का रहवास सुरक्षित किया गया, बल्कि शिकारियों पर कड़ी कार्रवाई कर अवैध शिकार को भी रोका गया।
स्थानीय समुदाय से जुड़ाव और जैविक दबाव में कमी
वन विभाग (Forest Department) ने जंगल से लगे गांवों को वन्य जीवों (Wildlife) के प्रति संवेदनशील बनाया। बड़े भूभाग को जैविक दबाव से मुक्त कर वन्य जीवों के लिए प्राकृतिक माहौल तैयार किया गया।
साथ ही, घास के मैदान विकसित किए गए ताकि शाकाहारी जीवों के लिए सालभर भोजन उपलब्ध रहे। हिरण (Deer) जैसे शिकार प्राणियों की संख्या बढ़ने से बाघों को प्राकृतिक भोजन आसानी से मिल सका।
ड्रोन और थर्मल कैमरों से निगरानी
वन विभाग ने बाघों की निगरानी और सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया। ड्रोन (Drone) और थर्मल कैमरे (Thermal Camera) लगाए गए, ताकि बाघों की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके और मानव-वन्यजीव संघर्ष (Human-Wildlife Conflict) को कम किया जा सके।
वनमंत्री केदार कश्यप का बयान
वनमंत्री केदार कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने शिकार पर नियंत्रण और बेहतर आवास प्रबंधन पर फोकस किया है। आने वाले वर्षों में बाघों की संख्या 100 तक पहुंचाना सरकार का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के मार्गदर्शन में यह काम लगातार आगे बढ़ाया जा रहा है।
यह भी पढ़ें: सुकमा जिले में बच्चों के भोजन में फिनायल मिलाने की कोशिश: हाईकोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान, मुख्य सचिव से मांगा जवाब