Bilaspur High Court: छत्तीसगढ़ के स्कूलों में चल रहे युक्तियुक्तकरण (Teacher Rationalization) की प्रक्रिया को लेकर प्रदेशभर में विवाद गहराता जा रहा है। इसी विवाद के बीच कई शिक्षकों ने इस प्रक्रिया को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट (Chhattisgarh High Court) का दरवाजा खटखटाया। वेकेशन कोर्ट (Vacation Court) में आज अवकाश के दिन भी सुनवाई हुई, जहां शिक्षकों ने वर्तमान गाइडलाइन (Guideline) और प्रक्रिया को चुनौती दी।
शिक्षकों ने लगाया अनियमितता का आरोप
याचिकाकर्ता शिक्षकों का आरोप है कि शिक्षा विभाग (School Education Department) और जिला प्रशासन (District Administration) के अफसरों ने बिना दावा-आपत्ति (Claim-Objection) आमंत्रित किए काउंसलिंग कर डाली। कई मामलों में शिक्षकों को अतिशेष (Excess Teacher) घोषित कर उन्हें दूरस्थ क्षेत्रों के स्कूलों में भेजने के आदेश दिए गए।
शिक्षकों ने यह भी दावा किया कि अतिशेष शिक्षकों की सूची (Excess Teacher List) मनमाने ढंग से तैयार की गई है और इस दौरान शासन द्वारा बनाए गए नियमों की अनदेखी की गई है।
हाईकोर्ट ने अधिकांश याचिकाएं की खारिज
हाईकोर्ट ने शिक्षकों की कई याचिकाओं पर विचार करते हुए राज्य शासन (State Government) के पक्ष में फैसला सुनाया और अधिकांश याचिकाओं को खारिज कर दिया। हालांकि, महासमुंद (Mahasamund) जिले के एक मामले में कोर्ट ने 10 दिन के लिए स्थगन आदेश (Stay Order) जारी किया है।
स्कूल की छात्र संख्या में गड़बड़ी से बढ़ा विवाद
महासमुंद के गवर्नमेंट अभ्यास प्राइमरी स्कूल (Govt Abhyas Primary School) में पदस्थ कल्याणी थेकर (Kalyani Thekar) ने याचिका में बताया कि स्कूल में 91 छात्र हैं, लेकिन दस्तावेज़ों में केवल 88 दर्ज किए गए। इसी त्रुटि के कारण उन्हें अतिशेष मानते हुए युक्तियुक्तकरण सूची में डालकर दूरस्थ स्कूल भेज दिया गया।
शासन की ओर से कोर्ट में स्वीकार किया गया कि छात्र संख्या में त्रुटि (Error) हुई है। इसके आधार पर कोर्ट ने इस एक मामले में 10 दिन की राहत दी।
शिक्षकों की नाराजगी जारी
शिक्षकों का कहना है कि सरकार की मंशा भले ही स्कूलों में संसाधनों के बेहतर बंटवारे की हो, लेकिन मौजूदा युक्तियुक्तकरण नीति में पारदर्शिता की कमी है। इससे न सिर्फ शिक्षकों को परेशानी हो रही है बल्कि स्कूलों की गुणवत्ता पर भी असर पड़ रहा है।
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