Chhattisgarh Rice Export Policy: छत्तीसगढ़ सरकार गैर-बासमती चावल के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रही है। राज्य ने मंडी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क में छूट देने का फैसला किया है। जिससे राइस मिलर्स और मंडियों को राहत मिलेगी।
यह निर्णय चावल उद्योग को मजबूत बनाने और इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में प्रतिस्पर्धा बनाने में मदद करेगा। इसके साथ ही चावल के निर्यात के लिए शिपिंग बिल में कार्गों का मूल स्थान छत्तीसगढ़ दर्ज करना अनिवार्य होगा।
इस पहल से राज्य के चावल उद्योग को नई ऊर्जा मिलेगी और निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
निर्यातकों को देना होगा ये दस्तावेज
जानकारी के मुताबिक चावल निर्यातकों को वास्तु और सेवा कर (GST) विवरण और बैंक पुनर्समायोजन विवरण (री-कॉंसिलेशन स्टेटमेंट) की कॉपी संबंधित मंडी कार्यालय में जमा करनी होंगी।
राज्य के पंजीकृत चावल निर्यातकों और राइस मिलर्स को यह घोषणा पत्र देना होगा कि चावल छत्तीसगढ़ में उपजे धान से तैयार किया गया है। साथ ही राइस मिलर्स को मंडी अधिनियम के प्रावधानों के तहत चावल निर्यातकों को परमिट जारी करना होगा।
कई केंद्रों में तो क्विंटल नहीं, बल्कि किलो भर धान रखने की भी जगह नहीं बची है। इस समस्या से परेशान होकर खरीदी केंद्रों के प्रभारी कलेक्टर से जल्द उठाव की मांग कर रहे हैं। इसके अलावा, उन्होंने 5 जनवरी तक संतोषजनक उठाव न होने पर 6 जनवरी से धान की खरीदी रोकने का अल्टीमेटम भी दिया है।
कई केंद्रों में तो क्विंटल नहीं, बल्कि किलो भर धान रखने की भी जगह नहीं बची है। इस समस्या से परेशान होकर खरीदी केंद्रों के प्रभारी कलेक्टर से जल्द उठाव की मांग कर रहे हैं। पढ़ें पूरी खबर…