Chhattisgarh Aadhar Service Update 2025 July 2025: छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर समेत प्रदेशभर में आधार कार्ड बनवाने और अपडेट कराने की प्रक्रिया में 15 जुलाई से बड़ा बदलाव लागू होने जा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार के निर्देशों के तहत अब किसी भी च्वाइस सेंटर में आधार कार्ड से जुड़ी कोई सेवा नहीं मिलेगी। यानी अब नए आधार कार्ड बनवाना हो या उसमें किसी तरह का संशोधन (Aadhar New Rules 2025) कराना हो, यह काम सिर्फ सरकारी लोक सेवा केंद्रों (Government Service Center) में ही होगा।
शहर में सिर्फ 9 सरकारी केंद्र रहेंगे विकल्प
फिलहाल रायपुर में 44 से अधिक च्वाइस सेंटर हैं, जहां नागरिक अपनी सुविधा (Chhattisgarh Aadhar Service Update 2025) अनुसार जाकर आधार सेवाएं प्राप्त करते रहे हैं। लेकिन अब ये सेवाएं बंद होने से केवल कलेक्टोरेट, नगर निगम मुख्यालय और 6 जोन कार्यालयों सहित कुल 9 सरकारी केंद्रों में ही आधार कार्ड (Aadhar Card) बनेगा। इसके अतिरिक्त श्याम प्लाजा पंडरी में एक निजी कंपनी को सेवाएं देने की अनुमति है, लेकिन वहां सेवाओं के लिए शुल्क देना होगा।
नई व्यवस्था से आम लोगों को परेशानी की आशंका
सरकारी केंद्रों (Aadhaar Services Government Center) की संख्या सीमित होने के कारण आम नागरिकों को लंबी दूरी तय करनी पड़ सकती है। साथ ही, भीड़ अधिक होने से इंतजार बढ़ेगा और बार-बार दस्तावेज लेकर लौटना पड़ सकता है। खासकर उन लोगों के लिए यह मुश्किल होगा जो दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं या रोज़मर्रा की नौकरी करते हैं।
नाराज च्वाइस सेंटर संचालक: ‘हमारा रोजगार छीना गया’
च्वाइस सेंटरों के संचालक (Choice Center Operators) इस फैसले से नाराज हैं। उनका कहना है कि पहले आधार कार्ड से उन्हें एक निश्चित कमीशन मिलता था जिससे केंद्र की लागत, स्टाफ वेतन और किराया जैसे खर्च पूरे होते थे। अब काम खत्म होने से सेंटर चलाना मुश्किल होगा। हालांकि चिप्स की ओर से संचालकों को सरकारी केंद्रों में शिफ्ट होने का विकल्प दिया गया, लेकिन कमीशन घटाकर 75 रुपये कर दिए जाने के कारण ज्यादातर ने इसमें रुचि नहीं दिखाई।
अब पूरी व्यवस्था चिप्स के हवाले
अब आधार सेवाओं से जुड़ा पूरा प्रबंधन सीधा चिप्स के अंतर्गत आ जाएगा। पहले यह जिम्मेदारी NIC हैदराबाद के पास थी। अब ID अलॉटमेंट, ब्लॉकिंग, सर्वर समस्या और तकनीकी फॉल्ट सुधार जैसे सभी कार्य चिप्स ही करेगा। विशेषज्ञों के अनुसार, यदि सर्वर में खराबी आती है तो आम नागरिकों को परेशानी झेलनी पड़ सकती है, क्योंकि सुधार में समय लग सकता है।
नई व्यवस्था सरकारी निगरानी को मजबूत बनाने और डेटा की सुरक्षा के लिहाज से फायदेमंद मानी जा रही है, लेकिन आम नागरिकों की सहूलियत को लेकर सवाल उठ रहे हैं। कम केंद्र, ज्यादा भीड़ और दूरस्थ स्थानों तक की यात्रा इस व्यवस्था को जमीनी तौर पर चुनौतीपूर्ण बना सकते हैं। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह फैसला लोगों की जिंदगी आसान बनाता है या मुश्किल।