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ओबीसी आरक्षण विवाद: छत्‍तीसगढ़ शासन पंचायत राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती, हाईकोर्ट में याचिका

Chhattisgarh OBC Reservation Controversy Update; छत्‍तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण का मुद्दा अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। जहां छत्‍तीसगढ़ शासन पंचायत राज अधिनियम में संशोधन को चुनौती दी गई

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Harsh Verma
Bilaspur High Court

CG OBC Reservation: छत्तीसगढ़ में ओबीसी आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। राज्य की विष्णुदेव साय सरकार ने पंचायती राज अधिनियम में कुछ संशोधन किए हैं, जिनके खिलाफ सूरजपुर जिला पंचायत के उपाध्यक्ष नरेश रजवाड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इस मामले की सुनवाई जल्द हो सकती है।

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राज्य सरकार ने लापरवाही बरती: याचिकाकर्ता

नरेश रजवाड़े ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए राज्य सरकार द्वारा ओबीसी आरक्षण को समाप्त करने के कदम को चुनौती दी है।

उनके अनुसार, 3 दिसंबर 2024 को राज्य सरकार ने छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश जारी किया, जिसके तहत पांचवी अनुसूची में शामिल जिलों में ओबीसी वर्ग को मिलने वाला आरक्षण खत्म कर दिया गया।

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रजवाड़े का कहना है कि इस अध्यादेश को भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत अधिकतम छह महीने तक लागू किया जा सकता था, लेकिन राज्य सरकार ने इस मामले में लापरवाही बरती और इसे विधानसभा में सही तरीके से पारित नहीं किया।

आरक्षण रोस्टर भी पूरी तरह से अवैध: रजवाड़े 

इस अध्यादेश को 16 से 20 जनवरी 2024 तक होने वाले विधानसभा सत्र में पेश नहीं किया गया, जिससे वह अब विधि के खिलाफ हो गया है।

रजवाड़े का कहना है कि इस कारण से 24 दिसंबर 2024 को किए गए संशोधन अवैध हो गए हैं और इसके आधार पर जारी किया गया आरक्षण रोस्टर भी पूरी तरह से अवैध हो गया है।

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इसलिए उन्होंने हाईकोर्ट से मांग की है कि इस अवैध संशोधन को निरस्त कर छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम के पुराने प्रावधानों के आधार पर नया आरक्षण रोस्टर तैयार कर पंचायत चुनाव कराए जाएं।

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