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छत्‍तीसगढ़ में बंद योजनाओं की राशि को लेकर सख्ती: वित्त विभाग ने बची हुई राशि की मांगी जानकारी, जानें पूरा मामला

Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ में बंद योजनाओं की राशि को लेकर सख्ती: वित्त विभाग ने बची हुई राशि की मांगी जानकारी, जानें पूरा मामला

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Harsh Verma
छत्‍तीसगढ़ में बंद योजनाओं की राशि को लेकर सख्ती: वित्त विभाग ने बची हुई राशि की मांगी जानकारी, जानें पूरा मामला

   हाइलाइट्स

  • बंद योजनाओं की राशि को लेकर सरकार की सख्ती
  • पिछली सरकार के कार्यकाल की योजनाओं की मांगी जानकारी
  • बंद योजनाओं की बची हुई राशि की मांगी जानकारी
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Chhattisgarh News: छत्‍तीसगढ़ सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में संचालित और वर्तमान में बंद योजनाओं की राशि के उपयोग को लेकर सख्ती दिखाई है. वित्त विभाग ने शिकायतें मिलने के बाद बंद योजनाओं की बची हुई राशि की जानकारी मांगी है. इसके साथ ही उनके खर्च पर भी रोक लगा दी है. वित्त विभाग ने विभागों और संबंधित पक्षों को कड़े निर्देश दिए हैं. निर्देश में कहा गया है कि बैंक खातों में बंद योजनाओं के नाम पर उपलब्ध राशि सरकार के खाते में जमा की जाए.

   कई योजनाओं के लिए प्राप्त राशि अभी भी बैंक खातों में जमा

इसके साथ ही विभाग (Chhattisgarh News) ने कहा है कि संज्ञान में आया है कि कई योजनाओं के लिए प्राप्त राशि अभी भी बैंक खातों में जमा हैं, वहीं राज्य और मैदानी कार्यालयों में राशि का इस्तेमाल किया जा रहा है. विभाग ने राज्य के सभी विभागों के सचिवों, विभागाध्यक्ष, जिला कलेक्टरों को निर्देश जारी कर रिपोर्ट भी मांगी है. इसके साथ ही विभाग ने बंद योजनाओं की राशि आहरण में कई अधिकारियों की संदिग्ध भूमिका की आशंका जताई है. विभागाध्यक्षों को इसकी जांच के आदेश दिए गए हैं.

   मितव्ययता रोकने के लिए मिशन मोड पर वित्त विभाग

वित्त विभाग फिजूलखर्ची और मितव्ययता रोकने के लिए मिशन मोड पर नजर आ रहा है. विभाग ने शासकीय वाहन पात्रता को लेकर 13 मई को नया आदेश जारी किया था, जिसमें अधिकारियों के लिए वाहनों की खरीदी की राशि तय की गई थी. साथ ही पेट्रोल-डीजल की आपूर्ति से लेकर अनियमितता को लेकर अधिकारियों पर कार्रवाई का आदेश जारी किया था.

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पिछली भूपेश सरकार की जो योजनाएं बंद हैं और जांच भी जारी है उनमें- रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (RIPA), गोधन न्याय योजना शामिल हैं. बता दें कि राजीव युवा मितान क्लब योजना में बीते तीन साल में 132 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च हुई है. राजीव युवा मितान क्लबों के नाम पर खर्च की गई राशि की उपयोगिता की जांच हो रही है.

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