रायपुर से गौरव शुक्ला की रिपोर्ट। Chhattisgarh News: महिला आरक्षण बिल लोकसभा और राज्यसभा में पास होने के बाद अब महिलाओं के प्रतिनिधित्व भी बढ़ जाएंगे। बिल लागू होने से पहले ही महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर प्रदेश में सियासत तेज होती जा रही है।
कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने इस बार होने वाले विधानसभा चुनाव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व बढ़ाए जाने के संकेत भी दिए हैं। जिसके बाद सियासी बयानबाजी भी तेज हो गई है।
22 महिलाओं को टिकट देने की तैयारी में कांग्रेस
2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से 13 महिला विधायक चुनकर सदन तक पहुंची तो वहीं बीजेपी, बसपा और जेसीसीजे से एकमात्र महिला विधायक चुनकर सामने आई। अब जब कांग्रेस 22 महिलाओं को टिकट देने की तैयारी में है, ऐसी स्थिति में बीजेपी कई तरह के सवाल और आरोप लगाती नजर आ रही है।
2023 विधानसभा चुनाव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर कांग्रेस प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा ने कहा कि महिला आरक्षण की बात है, छत्तीसगढ़ ने पहले भी पूरे देश में सबसे ज्यादा महिलाओं को मौका दिया है।
मोदी जी ने किया दिखावा- सैलजा
छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा महिला विधायक है। मोदी जी ने आरक्षण कानून बिल लाकर दिखावा किया है। लेकिन मालूम नहीं है कि भविष्य में कब क्या होगा, भविष्य के हाल में छोड़ दिया गया है।
उन्होने अगें कहा कि हमारा प्रयास होगा कि हम छत्तीसगढ़ में पिछली बार से आगे बढ़े। हर संसदीय क्षेत्र में हमारी कोशिश हो कि कम से कम विधायक के रूप में 2 महिलाएं लेकर आए।
वहीं कांग्रेस के इस फैसले को पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि कांग्रेस को महिलाएं ही चलाती हैं। सोनिया गांधी, इंदिरा गांधी, प्रियंका गांधी, महिलाओं पर ही फोकस रहेगा। कांग्रेस सिर्फ श्रेय लेने का काम करती हैं।
महिलाओं को साधने में जुटे दोनों दल
यह वक्त ऐसा है जब दोनों ही प्रमुख दल महिलाओं को साधने में जुटे है। कांग्रेस जहां छत्तीसगढ़ में प्रियंका गांधी को बुलाकर महिला समृद्धि सम्मेलन करती है और हजारों की संख्या में महिलाओं को साधने की कोशिश करती है तो वही बीजेपी महिला आरक्षण बिल पारित कर महिलाओं को साध रही है।
ऐसे बढ़ती गई महिला विधायकों की संख्या
राज्य बनने के बाद की स्थिति पर गौर करे तो छत्तीसगढ़ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व हर साल बढ़ता हुआ नजर आया है। 2003 में छत्तीसगढ़ में 6 महिला विधायक थी। जिसमें 4 बीजेपी, 1 कांग्रेस और 1 बसपा की थी।
वहीं 2008 में छत्तीसगढ़ में बीजेपी से 7 और कांग्रेस की 5 महिला विधायक थी। साथ ही 2013 में प्रदेश में बीजेपी की 6 और कांग्रेस की 4 महिलाएं विधायक बनी।
जबकि 2018 में महिला विधायकों की संख्या प्रदेश में बढ़कर 16 हो गई। जिसमें कांग्रेस से 13, बीजेपी, बसपा और जेसीसीजे से 1 महिला विधायक है।
बीजेपी के बयान पर कांग्रेस का पलटवार
इधर बीजेपी के पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर के बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चुटकी ली और कहा सबसे ज्यादा टिकट हमने दियए हैं, सबसे ज्यादा विधायक हमारे हैं। बीजेपी के पास एक है हमारे पास 13 विधायक है। बीजेपी से तेरा गुना ज्यादा हमारे पास विधायक है।
महिलाओं को लेकर सियासी पारा हाई
महिला आरक्षण बिल आने के बाद महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर सियासी पारा हाई होता जा रहा है। जबकि प्रदेश के हर विधानसभा चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ता ही गया है।
अब हर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस 2 महिलाओं को प्रत्याशी बनाने जा रही है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि छत्तीसगढ़ में महिलाओं का प्रतिनिधित्व एक बार फिर बढ़ेगा। लेकिन इन सियासी बयानबाजी के बीच इसका कितना लाभ मिलेगा, यह तो आने वाले समय पर ही बताएगा।
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