Chhattisgarh Medical Corporation Scam: छत्तीसगढ़ मेडिकल कॉरपोरेशन में हुई गड़बड़ी के मामले में ईओडब्ल्यू-एसीबी ने रायपुर, दुर्ग और अन्य जिलों में मोक्षित कार्पोरेशन के कई ठिकानों पर छापेमारी की है। यह कार्रवाई सीजीएमएसी के अधिकारियों और मेडिकल सप्लायरों के खिलाफ चल रही जांच के तहत की गई है।
सूत्रों के अनुसार, ईओडब्ल्यू-एसीबी की टीम ने दुर्ग के पुलगांव चौक स्थित मोक्षित कार्पोरेशन के ऑफिस और दुर्ग कोर्ट के पास खंडेलवाल कॉलोनी में सप्लायर के घर समेत अन्य स्थानों पर दस्तावेजों की जांच शुरू की है। सिद्धार्थ चौपड़ा और उनके तीनों भाइयों के ठिकानों पर यह कार्रवाई जारी है।
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660 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप
कांग्रेस सरकार के समय, स्वास्थ्य विभाग के CGMSC ने मोक्षित कॉर्पोरेशन के जरिए छत्तीसगढ़ के खजाने को किस प्रकार से नुकसान पहुंचाया, यह दो साल की ऑडिट रिपोर्ट में सामने आया था।
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, करोड़ों रुपये की गड़बड़ी की गई थी। इस मामले में 660 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप भारतीय लेखा और लेखापरीक्षा विभाग के प्रिंसिपल अकाउंटेंट जनरल (ऑडिट) आईएएस यशवंत कुमार ने एडिशनल चीफ सेक्रेटरी मनोज कुमार पिंगआ को पत्र लिखकर उठाया था।
कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की
ऑडिट टीम ने 2022-24 और 2023-24 के दौरान CGMSC के दवाइयों और उपकरणों की आपूर्ति से संबंधित दस्तावेजों की छानबीन की। इसमें पाया गया कि कंपनी ने बिना बजट आवंटन के 660 करोड़ रुपये की खरीदी की थी।
ऑडिट रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि पिछले दो सालों में जरूरत से ज्यादा केमिकल और उपकरण खरीदे गए और इनको विभिन्न अस्पतालों में सप्लाई किया गया, जहां उनकी कोई आवश्यकता नहीं थी।
प्रदेश के 776 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 350 से ज्यादा ऐसे थे, जहां तकनीकी, जनशक्ति और भंडारण सुविधाएं नहीं थीं। ऑडिट टीम के मुताबिक, DHS ने स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए उपकरणों और रीएजेंट्स की मांग पत्र जारी करते समय किसी भी सर्वेक्षण या विश्लेषण को नजरअंदाज कर दिया था।
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