हाइलाइट्स
- छत्तीसगढ़ के तीन निजी मेडिकल कॉलेजों पर जुर्माना
- फीस नियमों के उल्लंघन के कारण 10-10 लाख रुपये का जुर्माना
- प्रवेश और फीस विनियामक समिति ने लिया यह फैसला
CG Medical College Fine: छत्तीसगढ़ में तीन निजी मेडिकल कॉलेजों को फीस नियमों के उल्लंघन के कारण 10-10 लाख रुपये का जुर्माना देना होगा। यह फैसला प्रवेश और फीस विनियामक समिति (Admission and Fee Regulatory Committee) ने लिया। छात्रों से ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल और मेस शुल्क के नाम पर अतिरिक्त राशि वसूलने की शिकायत सही पाए जाने पर यह कार्रवाई हुई।
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किन कॉलेजों पर जुर्माना लगा?
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शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, जुनवानी, भिलाई (Shankaracharya Institute of Medical Sciences, Bhilai)
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बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, मोवा, रायपुर (Balaji Institute of Medical Sciences, Raipur)
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रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भानसोज (Raipur Institute of Medical Sciences, Bhansoj)
कितनी अधिक राशि ली गई?
1. शंकराचार्य इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भिलाई
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ट्रांसपोर्ट: 2.50 लाख वसूले, जबकि वास्तविक शुल्क सिर्फ 4,635 रुपये था।
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हॉस्टल: 2.46 लाख वसूले, जबकि वास्तविक शुल्क 53,337 रुपये था।
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मेस: 56,700 रुपये वसूले, जबकि वास्तविक शुल्क 51,015 रुपये था।
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कुल अधिक राशि: 4,43,713 रुपये प्रति छात्र।
2. बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, रायपुर
तीनों मद में 5.50 लाख वसूले,
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ट्रांसपोर्ट: वास्तविक शुल्क 13,719 रुपये था।
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हॉस्टल: वास्तविक शुल्क 50,583 रुपये।
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मेस: वास्तविक शुल्क 27,476 रुपये।
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कुल अधिक राशि: 4,58,222 रुपये प्रति छात्र।
3. रायपुर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, भानसोज
तीनों मद में 5.50 लाख रुपए वसूले, जबकि
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ट्रांसपोर्ट: वास्तविक शुल्क 13,384 रुपये था।
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हॉस्टल: वास्तविक शुल्क 37,748 रुपये।
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मेस: वास्तविक शुल्क 45,275 रुपये।
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कुल अधिक राशि: 4,53,593 रुपये प्रति छात्र।
कॉलेजों को क्या करना होगा?
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छात्रों को एक महीने के भीतर उनकी राशि 7% वार्षिक ब्याज सहित लौटानी होगी।
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जुर्माने की राशि राज्य सरकार के खाते में जमा करनी होगी।
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यदि एक महीने में राशि जमा नहीं की गई, तो कॉलेजों की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की जाएगी।
नियामक समिति ने क्या कहा?
फीस विनियामक समिति के अध्यक्ष जस्टिस प्रभात कुमार शास्त्री (Justice Prabhat Kumar Shastri) ने बताया कि मेडिकल कॉलेजों को पूरी सुनवाई का अवसर दिया गया था। जांच में यह साबित हुआ कि कॉलेजों ने ‘न लाभ-न हानि’ (No Profit-No Loss) के नियमों का उल्लंघन किया और छात्रों से मनमानी फीस वसूली।
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