Chhattisgarh Liquor Scam Case: छत्तीसगढ़ के अरबों रुपए के शराब घोटाले में अब पूर्व आईएएस अधिकारी विवेक ढांड का नाम भी जुड़ गया है।
ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने विवेक ढांड को पूरे घोटाले का मुख्य आरोपी बताया है, जिसके निर्देशन में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुण पति त्रिपाठी जैसे प्रमुख किरदार काम कर रहे थे। इसके अलावा, विवेक ढांड को इस घोटाले में हिस्सेदारी भी दी गई थी।
ईडी ने अपने दस्तावेजों में इस पूरे घोटाले का विवरण दिया
ईडी ने एक दिन पहले ही पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा को रिमांड पर लिया था। ईडी ने अपने दस्तावेजों में इस पूरे घोटाले का विवरण दिया है, जिसमें यह बताया गया कि किस तरह से विवेक ढांड के निर्देशन में अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा और अरुणपति त्रिपाठी ने फरवरी 2019 से लेकर जून 2022 तक 2,161 करोड़ रुपए की अवैध कमाई की।
इन लोगों ने शराब कंपनियों से अवैध रूप से शराब का उत्पादन करवाया और उसका सप्लाई नेटवर्क चलाया, जिसके बदले में उन्हें कमीशन मिलता था। ईडी ने एफआईआर में इस घोटाले के पूरे ताने-बाने का विस्तृत ब्योरा दिया है।
2019 में उजागर हुआ था यह घोटाला
यह घोटाला 2019 में उजागर हुआ था, जब छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के दौरान लाइसेंसी शराब दुकानों पर डुप्लिकेट होलोग्राम लगाकर बड़ी मात्रा में अवैध शराब बेची जा रही थी।
इसके कारण राज्य के राजस्व विभाग को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ। शराब को स्कैनिंग से बचाने के लिए नकली होलोग्राम लगाए जाते थे, जिससे वह पकड़ में न आ सके।
इस होलोग्राम को बनाने के लिए उत्तर प्रदेश के नोएडा स्थित PHSE (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) नामक कंपनी को टेंडर दिया गया था।
होलोग्राम बनाने के लिए योग्य नहीं थी कंपनी
ईडी ने अपनी जांच में यह पाया कि यह कंपनी होलोग्राम बनाने के लिए योग्य नहीं थी, फिर भी नियमों में संशोधन कर उसे टेंडर दिया गया था। इसके बदले में कंपनी के मालिक से भारी कमीशन लिया गया।
जब ईडी ने कंपनी के मालिक विधु गुप्ता को गिरफ्तार किया, तो उसने इस घोटाले में कांग्रेस सरकार के CSMCL के एमडी अरुणपति त्रिपाठी, बिजनेसमैन अनवर ढेबर और अनिल टुटेजा का नाम लिया।
कवासी लखमा पर हर महीने कमीशन लेने का आरोप
ईडी की कार्रवाई के बाद, इस मामले में और भी खुलासे हुए। 2024 के अंत में कांग्रेस विधायक और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा का नाम भी सामने आया।
सूत्रों के अनुसार, ईडी की जांच में यह खुलासा हुआ कि कवासी लखमा को शराब घोटाले से पीओसी (प्रोसीड ऑफ क्राइम) के तहत हर महीने कमीशन मिल रहा था।
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