Chhattisgarh High Court: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने एक अहम निर्णय में साफ किया है कि केवल घरेलू झगड़े (Domestic Quarrel) या अपमानजनक टिप्पणियां (Insulting Remarks) अगर आत्महत्या (Suicide) के लिए तुरंत और प्रत्यक्ष उकसावे का कारण नहीं बनतीं, तो IPC की धारा 306 (IPC Section 306) के तहत अपराध नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने पति और ससुर को निचली अदालत द्वारा दी गई सजा से दोषमुक्त कर दिया।
क्या था पूरा मामला
यह मामला रायपुर (Raipur) का है। 31 दिसंबर 2013 को एक विवाहित महिला गंभीर हालत में झुलसी हुई हालत में अस्पताल में भर्ती कराई गई थी। इलाज के दौरान 5 जनवरी 2014 को उसकी मौत हो गई।
मरने से पहले महिला ने अपने मृत्युपूर्व बयान (Dying Declaration) में कहा कि उसने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली थी क्योंकि उसका पति और ससुर उसे बार-बार अपमानित करते थे और चरित्र पर शक करते थे। मृतका के परिवारवालों ने भी बयान दिया कि ससुराल पक्ष उसे मानसिक रूप से प्रताड़ित करता था और अक्सर झगड़े होते थे।
कोर्ट में क्या दलीलें दी गईं
आरोपी पति और ससुर ने हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि महिला की आत्महत्या से ठीक पहले कोई ऐसा कृत्य नहीं हुआ था जो उसे तुरंत आत्महत्या के लिए उकसाता। इसके बिना IPC की धारा 306 (IPC Section 306) के तहत अपराध सिद्ध नहीं होता।
वहीं राज्य सरकार के वकील ने कहा कि मृतका को लंबे समय से मानसिक प्रताड़ना दी जा रही थी जिससे मजबूर होकर उसने आत्महत्या कर ली।
जज का विश्लेषण और अहम टिप्पणी
जस्टिस बिभु दत्ता गुरु (Justice Bibhu Dutta Guru) ने कहा कि आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण साबित करने के लिए यह जरूरी है कि आरोपी का कृत्य सीधा उकसावे या षड्यंत्र को दर्शाए। केवल अपमानजनक बातें या सामान्य घरेलू कलह को दुष्प्रेरण नहीं माना जा सकता।
उन्होंने IPC की धारा 113A (IPC Section 113A) का जिक्र करते हुए कहा कि यह धारा तभी लागू होती है जब विवाह के 7 साल के अंदर पत्नी की आत्महत्या हो। लेकिन इस मामले में विवाह को 12 साल हो चुके थे, इसलिए यह धारा नहीं लगाई जा सकती।
कोर्ट ने दी यह अहम नसीहत
न्यायालय ने कहा कि आवेश या गुस्से में बोले गए शब्द अगर किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने की मंशा से नहीं कहे गए हों, तो उन्हें IPC की धारा 306 के तहत दुष्प्रेरण नहीं माना जा सकता। ससुराल पक्ष की टिप्पणियां अपमानजनक भले हों, लेकिन वे इतनी गंभीर नहीं थीं कि महिला के पास आत्महत्या के अलावा कोई विकल्प ही न बचा हो।
इस आधार पर हाईकोर्ट (High Court) ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और पति तथा ससुर को दोषमुक्त कर दिया।
क्या है इस फैसले का मतलब
इस निर्णय से यह स्पष्ट होता है कि सामान्य घरेलू झगड़े या अपमानजनक बातें IPC की धारा 306 के तहत सीधे तौर पर अपराध नहीं मानी जाएंगी, जब तक यह साबित न हो कि उन बातों से पीड़ित को आत्महत्या के लिए प्रत्यक्ष रूप से मजबूर किया गया था।