Chhattisgarh Brijmohan Letter: छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। रायपुर के वरिष्ठ भाजपा नेता और सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी ही पार्टी की सरकार को दो अलग-अलग अहम मुद्दों पर पत्र लिखकर सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
बृजमोहन अग्रवाल ने छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार से मेकाहारा रायपुर के एडवांस कार्डियक इंस्टिट्यूट में बंद पड़ी बायपास और ओपन हार्ट सर्जरी सेवाओं को दोबारा शुरू करने की मांग की है। साथ ही दिवंगत शिक्षकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति देने में हो रही देरी पर भी कड़ी नाराजगी जताई है।

“मेकाहारा में हृदय रोगियों के लिए सुविधाएं बहाल करें” – सांसद की सीधी अपील
अपने पत्र (Chhattisgarh Brijmohan Letter) में सांसद अग्रवाल ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल को संबोधित करते हुए लिखा कि, “यह अत्यंत दुखद है कि लगातार प्रयासों और बैठकों के बावजूद छत्तीसगढ़ के इस एकमात्र शासकीय हृदय संस्थान में जटिल सर्जरी सेवाएं बंद हैं। इससे गरीब मरीज निजी अस्पतालों के शोषण का शिकार हो रहे हैं।” उन्होंने सरकार से मांग की है कि तुरंत उच्चस्तरीय बैठक बुलाकर सेवाएं पुनः बहाल की जाएं, ताकि आमजन को राहत मिल सके।
उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में भी इस गंभीर मुद्दे को कई मंचों पर उठाया गया, परंतु प्रशासनिक उपेक्षा के कारण हजारों मरीज केवल तारीखों का इंतजार कर रहे हैं और कई की जान चली गई।
शिक्षकों के आश्रितों को नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा – अग्रवाल
सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने दूसरी चिट्ठी में राज्य के दिवंगत शिक्षकों के 1242 आश्रित परिजनों को अब तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं मिलने पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने लिखा कि कांग्रेस सरकार के समय परिजनों ने 307 दिन लंबा आंदोलन किया था और भाजपा ने सत्ता में आने पर इस मांग को पूरा करने का वादा किया था। लेकिन अब तक सिर्फ 27 पात्रों को ही नियुक्ति दी गई है।
अग्रवाल ने अनुरोध किया है कि नियमों में शिथिलता लाकर योग्यता के अनुसार इन परिजनों को तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियां दी जाएं, ताकि वे सम्मानपूर्वक जीवन यापन कर सकें। हाल ही में कई परिजनों ने उनसे मिलकर ज्ञापन सौंपा और अपनी पीड़ा साझा की थी।
बृजमोहन अग्रवाल बने जनता की आवाज
यह पहला मौका नहीं है जब सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने अपनी ही सरकार के सामने जनता से जुड़े मुद्दों को उठाया है। इससे पहले वे रायपुर में बढ़ते अपराध, ट्रैफिक की बदहाल व्यवस्था और पुलिस भर्ती की कमी को लेकर भी सरकार को पत्र लिख चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि जनहित के मामलों में वे किसी भी कीमत पर चुप नहीं बैठ सकते, चाहे सरकार अपनी ही क्यों न हो।
बृजमोहन अग्रवाल की चिट्ठियों से सरकार पर जनदबाव बढ़ा
इन पत्रों (Chhattisgarh Brijmohan Letter) के सार्वजनिक होने के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में सरगर्मी तेज हो गई है। जहां एक ओर सत्ता पक्ष के लिए यह आंतरिक असंतोष का संकेत माना जा रहा है, वहीं जनता इसे एक जनप्रतिनिधि की संवेदनशीलता और ईमानदारी के रूप में देख रही है। आने वाले दिनों में इन मांगों पर सरकार की प्रतिक्रिया क्या होगी, इस पर पूरे प्रदेश की नजरें टिकी हुई हैं।