Chhath Pooja 2023: बांस के बहंगिया बहंगी लचकत जाए…इस गीत के बोल बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल इलाके में लगभग हर घर में सुनाई पड़ रहे हैं। क्योकि छठ महापर्व आज यानी 17 नवंबर से नहाय खाय के साथ शुरू हो रहा है।
ये चार दिवसीय पर्व चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्ध्य देने के बाद समाप्त होगा। छठ एक ऐसा पर्व है, जिसमें देश विदेश में रह रहे लोग अपने घर आते हैं और बड़े धूम-धाम से छठी मईया की पूजा करते हैं।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छठ के अवसर पर प्रदेश एवं देशवासियों को बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि लोक आस्था का यह महापर्व आत्म अनुशासन का पर्व है, जिसमें लोग आत्मिक शुद्धि और निर्मल मन से अस्ताचल और उदीयमान भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। मुख्यमंत्री ने लोक आस्था के महापर्व छठ के अवसर पर भगवान भास्कर से राज्य की प्रगति, सुख, समृद्धि, शांति और सौहार्द्र के लिये प्रार्थना की तथा राज्यवासियों से अपील की है कि वे इस महापर्व को मिल-जुलकर आपसी प्रेम, पारस्परिक सद्भाव और शांति के साथ मनायें।
महापर्व छठ के प्रथम दिन आज प्रातः व्रती अपने परिवार के सदस्यों के साथ राजधानी पटना के समीप से गुजर रही गंगा नदी के विभिन्न घाटों सहित प्रदेश की अन्य नदियों के घाटों व तालाबों के किनारे पहुंचे तथा स्नान एवं सूर्य उपासना के साथ नहाय-खाय की रस्म पूरी की। नहाय-खाय के दौरान व्रती अरवा चावल का भात, चने की दाल, कद्दू की सब्जी तथा धनिया के पत्ते की चटनी का भोग लगाते हैं। सूर्य उपासना के इस पावन पर्व पर नहाय-खाय के अगले दिन यानी शनिवार को व्रतियों द्वारा निर्जला उपवास रखकर खरना किया जाएगा।
खरना में दूध, अरवा चावल व गुड़ से बनी खीर एवं रोटी का भोग लगाया जाता है। खरना के बाद व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपावास शुरू हो जाएगा जो कि 19 नवंबर को रविवार की शाम अस्ताचल गामी सूर्य और 20 नवंबर को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण के साथ पूरा होगा। प्रदेश की राजधानी पटना में इस महापर्व के दौरान व्रतियों और श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा को लेकर प्रशासन और पुलिस द्वारा व्यापक स्तर पर प्रबंध किए गए हैं। व्रतियों तथा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए प्रशासन द्वारा 32 टैंकर के माध्यम से घर-घर पवित्र गंगा जल उपलब्ध कराया जा रहा है।
नहाए-खाय से छठ महापर्व प्रारंभ
यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। इसमें 36 घंटों तक कठिन नियमों का पालन करते हुए इस व्रत को रख जाता है। छठ पूजा का व्रत रखने वाले लोग चौबीस घंटो से अधिक समय तक निर्जल उपवास रखते हैं। इस पर्व का मुख्य व्रत षष्ठी तिथि को रखा जाता है, लेकिन छठ पूजा की शुरुआत कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से हो जाती है, जिसका समापन सप्तमी तिथि को प्रातः सूर्योदय के समय अर्घ्य देने के बाद समाप्त होता है।
#WATCH बिहार: पटना में 'छठ पूजा 2023' के अवसर पर दीघा घाट पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। इस दौरान श्रद्धालु पवित्र स्नान और पूजा करते दिखे। pic.twitter.com/osB3YSxGQY
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 17, 2023
शनिवार को है खरना
शनिवार को व्रत का दूसरा दिन यानी खरना है। इस दिन सूर्योदय सुबह 06.46 बजे और सूर्यास्त शाम 05.26 बजे होगा। उपवास रखने वाली महिलाएं गुड़ से बनी खीर, केला और मूली की पूजा करती हैं फिर इस प्रसाद को ग्रहण करती हैं।
संध्या अर्ध्य
महापर्व के तीसरे दिन यानी 19 नवंबर को श्रद्धालु अस्त होते हुए सूर्य को अर्ध्य देते हैं, जिसे संध्या अर्ध्य के नाम से जाना जाता है। इस दिन सूर्य 06.46 बजे निकलेगा और सूर्यास्त 05.26 बजे होगा। संध्या अर्ध्य के दिन महिलाएं बिना कुछ खाए – पिए उपवास रखती हैं।
छठी पूजा का महत्व
छठ पूजा के दौरान सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पूजा में भक्त गंगा नदी जैसे पवित्र जल में स्नान करते हैं। महिलाएं निर्जला व्रत रखकर सूर्य देव और छठी माता के लिए प्रसाद तैयार करते हैं। दूसरे और तीसरे दिन को खरना और छठ पूजा कहा जाता है। महिलाएं इन दिनों एक कठिन निर्जला व्रत रखती हैं। साथ ही चौथे दिन महिलाएं पानी में खड़े होकर उगते सूरज को अर्घ्य देती हैं और फिर व्रत का पारण करती हैं।
इसी बीच एक बड़ी खबर यह है कि 19 नवंबर को छठ पूजा के अवसर पर दिल्ली में ‘ड्राई डे’ रहेगा: दिल्ली सरकार के उत्पाद शुल्क आयुक्त ने आदेश जारी किया।
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