भोपाल। मध्य प्रदेश को हिंदुस्तान का दिल कहा जाता है। राज्य में कई ऐसी जगहें हैं जो रहस्यों से भरी मानी जाती हैं। इन्हीं में से एक है छतरपुर जिले का भीमकुंड। इस कुंड में जल कहां से आता है और यह कितना गहरा है, इसके बारे में किसी को नहीं पता है। ऐसा नहीं है कि जानने की कोशिश नहीं की गई, लेकिन कभी कामयाबी नहीं मिल पाई। आइए जानते हैं इस रहस्यमयी कुंड के बारे में…..
एक पौराणिक कथा प्रचलित है
इस कुंड के बारे में एक पौराणिक कथा प्रचलित है। कहा जाता है कि महाभारत काल में अज्ञातवास के दौरान पांडव यहां से जा रहे थे। इस दौरान द्रोपदी को प्यास लगी और पांडवों ने आस-पास पानी खोजा, लेकिन कहीं पानी नहीं मिला। तब धर्मराज युधिष्ठिर ने नकुल को याद दिलाया कि उनके पास इतनी शक्ति है कि वह पाताल की गहराई में स्थित पानी की खोज कर सकते हैं। इसके बाद नकुल ने ध्यान लगाया और खोज लिया कि कहां पर जल है। लेकिन पानी कैसे मिले यह परेशानी खत्म नहीं हुई।
कुंड भीम के गदा से बना है
कथा के मुताबिक, द्रोपदी को प्यास से तड़पता देख भीम ने अपनी गदा से पानी वाले स्थान पर वार किया। गदा के प्रहार के बाद भूमि में कई छेद हो गए और जल नजर आने लगा। भूमि की सतह से जल स्रोत करीब तीस फीट नीचे था। फिर युधिष्ठिर ने अर्जुन से कहा कि अपने धनुर्विद्या का कौशल दिखाओ और जल तक पहुंचने का रास्ता बनाओ। इसके बाद अर्जुन ने अपने बाणों से जल स्रोत तक सीढ़ियां बना डालीं। इन्हीं सीढ़ियों से द्रौपदी जल स्रोत तक पहुंची। यह कुंड भीम की गदा से बना जिसकी वजह से इसको भीमकुंड के नाम से जाना जाता है।
भू-वैज्ञानिकों के लिए भी रहस्य
दूसरी मान्यता यह है कि भीमकुंड एक शांत ज्वालामुखी है। कई भू-वैज्ञानिकों ने इसकी गहराई मापने की कोशिश की, लेकिन कुंड के तल का पता नहीं चल पाया। बताया जाता है कि कुंड की अस्सी फिट की गहराई में तेज जलधाराएं प्रवाहित होती हैं। यह धाराएं शायद इसको समुद्र से जोड़ती हैं। भू-वैज्ञानिकों के लिए भी भीमकुंड की गहराई रहस्य है।
क्या है मान्यता
मान्यता है कि भीमकुंड में स्नान करने से त्वचा संबंधी बीमारियां भी ठीक हो जाती हैं। अगर कोई कितना भी प्यासा हो इस कुंड की तीन बूंदों से उसकी प्यास बूझ जाती है। अगर देश के ऊपर कोई बड़ा संकट आने वाला होता है, तो इस जलकुंड का जलस्तर बढ़ जाता है।