हाइलाइट्स
- नेपाल सीमा से लगे गांवों में धर्मांतरण का नेटवर्क
- बॉर्डर से सटे इलाकों के युवाओं को टार्गेट
- सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश
रिपोर्ट- आलोत राय
Chhangur Baba Nepal Connection: उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण और देशविरोधी गतिविधियों के आरोप में गिरफ्तार छांगुर के खिलाफ हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं। एटीएस की जांच में सामने आया है कि छांगुर नेपाल सीमा से लगे गांवों में धर्मांतरण का नेटवर्क स्थापित करने में जुटा था। साथ ही छांगुर ने धर्मांतरण मामले में 4 सरकारी अफसरों के शामिल होेना की बात कही है।
धर्मांतरण मामले में 4 सरकारी अफसर शामिल
एटीएस की रिमांड में छांगुर ने जिन चार सरकारी अफसरों के नाम लिए हैं, उनमें एक एडीएम, दो सर्कल ऑफिसर (CO) और एक इंस्पेक्टर शामिल हैं। इन सभी की तैनाती 2019 से 2024 के बीच बलरामपुर में रही है। छांगुर ने दावा किया है कि ये अधिकारी उसके इशारे पर काम करते थे और हर तरह की मदद करने को तैयार रहते थे।
एसटीएफ ने इन नामों की गोपनीय जांच शुरू कर दी है और अब इनकी भूमिका की तस्दीक और सबूतों की पुष्टि की जा रही है। जांच एजेंसियां यह भी पड़ताल कर रही हैं कि कहीं छांगुर ने इन अफसरों के नाम सिर्फ खुद को बचाने या दूसरों को फंसाने के लिए तो नहीं लिए।
7 दिन की कस्टडी रिमांड
इस बीच, छांगुर और नसरीन की 7 दिन की कस्टडी रिमांड आज समाप्त हो रही है। शाम 6 बजे तक दोनों को जेल भेजे जाने की संभावना है। वहीं, अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) भी छांगुर और नीतू को अपनी रिमांड पर लेने की तैयारी में है, ताकि मनी लॉन्ड्रिंग और विदेश से मिली फंडिंग की कड़ियां भी जोड़ी जा सकें।
छांगुर की साजिश: कैसे काम करता था नेटवर्क?
जांच के दौरान पता चला है कि छांगुर ने 46 गांवों के युवाओं को चिन्हित किया था। वह जलसों और तकरीर के बहाने युवाओं के बीच परचे बांटकर उनकी सोच का पता लगाता था। उसका मकसद सीमावर्ती इलाकों में जिहादी विचारधारा को बढ़ावा देना था।
सुरक्षा एजेंसियों को पता चला है कि छांगुर ने इस काम के लिए करीब 10 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई थी।
गरीबी से करोड़पति तक का सफर
2015 में छांगुर एक पुरानी बाइक पर अंगूठी और नग बेचने का काम करता था। लेकिन 2020 के बाद उसकी संपत्ति अचानक बढ़ने लगी। 2022 तक वह लग्जरी कारों में घूमने लगा और उसकी जीवनशैली पूरी तरह बदल गई।
जांच में पता चला है कि उसके करीब 18 सहयोगियों की संपत्ति भी संदिग्ध तरीके से बढ़ी है। एटीएस को शक है कि छांगुर को विदेशों से फंडिंग मिल रही थी।
सरकारी जमीन हड़पने की कोशिश
छांगुर ने अपने मिशन को आगे बढ़ाने के लिए सरकारी जमीनों पर कब्जा करने की योजना बनाई थी। उसने उतरौला में तालाब की जमीन को तहसील कर्मचारियों की मदद से अपने नाम करा लिया और फिर उसे 1 करोड़ रुपये में बेच दिया।
इसके अलावा वह कई अन्य सरकारी जमीनों पर मजार और मदरसा बनाना चाहता था। नगर पालिका अधिकारी ने इसकी शिकायत की थी, लेकिन फिर भी जमीन की बिक्री हो गई।
एटीएस की कार्रवाई और आगे की जांच
छांगुर और उसके बेटे समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। एटीएस अभी उसके 14 अन्य सहयोगियों की तलाश कर रही है। छांगुर की रिमांड कस्टडी में अभी दो दिन शेष हैं, जिसमें और खुलासे होने की उम्मीद है।
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