Diabetes Treatment Biobank: देश में डायबिटीज मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है, धीरे-धारे हर उम्र के लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। बिगड़ती लाइफस्टाइल और खानपान की वजह से युवाओं में डायबिटीज (Diabetes) का खतरा ज्यादा बढ़ रहा है।
इसी को देखते हुए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन (MDRF) ने मिलकर भारत का पहला डायबिटीज बायोबैंक चेन्नई में स्थापित किया है। इस डायबिटीज बायोबैंक में भारतीय आबादी के बायोलॉजिकल सैंपल स्टोर किए जाएंगे।
क्या होता है बायोबैंक?
बता दें, बायोबैंक (Diabetes Treatment Biobank) एक ऐसा केंद्र होता है जहां बायोलॉजिकल सैंपल को स्टोर, प्रोसेस और रिसर्च के लिए रखा जाता है। अलग-अलग बायोबैंक अलग-अलग तरह के नमूने और जानकारी इकट्ठा करते हैं और उपलब्ध कराने का काम करते हैं। इन्हें ‘बायोरिपोजिटरी’ भी कहा जाता है।
भारत में 19 पंजीकृत बायोबैंक हैं, जो अनेक बायोलॉजिकल सैंपल्स का भंडारण करते हैं। विश्वभर में उपलब्ध विभिन्न बायोबैंकों में से सबसे प्रसिद्ध UK बायोबैंक है। यह यूनाइटेड किंगडम के पांच लाख प्रतिभागियों की आनुवांशिक, जीवनशैली और स्वास्थ्य संबंधी जानकारी वाला एक विशाल बायोमेडिकल डेटाबेस है।
बायोबैंक का उद्देश्य
MDRF चेन्नई में स्थापित बायोबैंक का उद्देश्य ICMR की अनुमति से वैज्ञानिक अध्ययनों में सहायता के लिए बायोलॉजिकल सैंपल्स को एकत्रित करना, प्रोसेस करना, स्टोर करना और वितरित करना है। ताकि, शोधकर्ताओं को बीमारी का पता लगाने और उसका इलाज करने के बेहतर तरीके खोजने में मदद मिल सके और स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त लोगों की मदद की जा सके।
बता दें, यह बायोबैंक ऐसे समय में स्थापित किया गया है, जब देश में बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक डायबिटीज के शिकार बन रहे हैं। इस बायोबैंक में दो अध्ययनों से संबंधित रक्त के नमूने हैं। इस अध्ययन में 2008 से 2020 तक कई चरणों में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आयोजित ‘ICMR इंडिया डायबिटीज’ और ‘भारत में कम उम्र में मधुमेह से पीड़ित लोगों की शुरुआत में ही रजिस्ट्री’ (Registry of People with Diabetes in India at a Young Age at the Onset) शामिल हैं।
ये भी पढ़ें: Beetroot in diabetes: डायबिटीज के मरीजों लिए क्या चुकंदर खाना है फायदेमंद, जानें इसके पीछे की सच्चाई
डायबिटीज बायोबैंक से बायोमार्कर्स की पहचान
यह डायबिटीज बायोबैंक (Diabetes Treatment Biobank) से संबंधित विभिन्न प्रकारों (जैसे टाइप 1, टाइप 2 और गेस्टेशनल डायबिटीज) के लिए नए बायोमार्कर्स (जैवचिह्नों) की पहचान करने में मदद करेगा। इसके अलावा, यह पर्सनल इलाज की स्ट्रैटेजी विकसित करने और बीमारी की प्रगति का अध्ययन करने में भी मददगार साबित होगा।
MDRF के प्रेसीडेंट डॉ. वी मोहन ने बताया कि हमने युवा डायबिटीज के कई प्रकारों के ब्लड सैंपल को भविष्य के शोध के लिए स्टोर किया है। यह शोध न केवल डायबिटीज के शुरुआती डायग्नोस को सरल बनाएगा, बल्कि इसके कॉम्प्लिकेशन्स को समझने और इलाज में भी मददगार होगा।
डायबिटीज के इलाज में आएगा क्रांतिकारी बदलाव
MDRF के प्रेसीडेंट डॉ. वी मोहन ने बताया कि बायोबैंक डायबिटीज को शुरुआती स्टेज पर ही पहचानकर इलाज को बेहतर बनाने के लिए नए बायोमार्कर(संकेतक) की पहचान करने में मदद करेगा। इससे आने वाले समय में रिसर्च के लिए जरूरी डेटा मिल सकेगा, इस बीमारी को सही तरह मैनेज करने और इसे रोकने के लिए रिसर्च और स्टडी में मदद मिलेगी। इससे डायबिटीज के खिलाफ चल रही दुनिया की लड़ाई में भारत की भूमिका अहम होगी, भारत दुनिया की मदद कर पाएगा और दूसरे देशों से भी सहयोग मिल सकेगा।
यह रिपॉजिटरी हाईटेक सैंपल स्टोरेज और डेटा शेयरिंग टेक्नोलॉजीज का इस्तेमाल करके सस्ते और असरदार इलाज खोजने में मदद करेगा। डायबिटीज बायोबैंक न केवल बीमारी के शुरुआती डायग्नोस में मदद करेगा, बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि उपचार रोगी-विशिष्ट हो। इससे डायबिटीज के इलाज और रोकथाम की स्ट्रैटेजी में क्रांतिकारी बदलाव आ सकते हैं।
ये भी पढ़ें: World Diabetes Day: डायबिटीज होने पर आपका शरीर देता है ये संकेत, न करें नजरंदाज, पढ़ें बचाव के तरीके
दुनिया का डायबिटीज कैपिटल है भारत
डायबिटीज से शरीर में ग्लूकोज यानी शुगर का स्तर बढ़ जाता है इसके कारणों में से गर्भावस्था के दौरान अग्नाशय पर्याप्त इंसुलिन नहीं बना पाना, ज्यादा वजन या मोटापा, हार्मोनल बदलाव,पारिवारिक इतिहास भी हो सकते है। भारत में मधुमेह से पीड़ित लोगों की संख्या 212 मिलियन है जो दुनिया में मधुमेह के कुल मामलों का 26% है। भारत में यह समस्या सभी आयु वर्गों में बढ़ रही है, और शहरी इलाकों में ग्रामीण इलाकों की तुलना में ज्यादा है।
देश में कई लोग ऐसे भी हैं जिन्हें मधुमेह है, लेकिन उन्हें इसकी जानकारी ही नहीं है, पिछले 30 सालों में मरीजों की संख्या दुगनी हो चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि हालात यही रहे तो 2050 तक यह आकड़ा 130 करोड़ से भी ज्यादा हो सकता है। दरअसल, डायबिटीज में इतनी बढ़ोत्तरी लोगों के जीवनशैली मे हो रहे बदलाव की वजह से भी है। ऐसे में यह बायोबैंक (Diabetes Treatment Biobank) नए बायोमार्कर खोजेगा जो भारत के साथ-साथ दुनिया भर में डायबिटीज रिसर्च के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी।
ये भी पढ़ें: Rice For Diabetes Patients: डायबिटीज के हैं मरीज, लेकिन चावल के हैं शौकीन, तो ट्राई करें ये वाले चावल नहीं बढ़ेगी शुगर