भोपाल/लखनऊ। Cheetah Death News: कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत की खबर से राष्ट्रीय स्तर की राजनीति शुरू हो गई है। मादा चीता धात्री (तिब्लिशी) की मौत के बाद अब तक मप्र के कूनो नेशनल पार्क में 9 चीतों ने दम तोड़ दिया है। चीता की मौत पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में नौवें चीते की मौत पर मध्य प्रदेश की भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार को कठघरे में खड़ा किया।
अखिलेश यादव ने पूछा सवाल
अखिलेश यादव ने पूछा कि इस मौत के लिए कौन जिम्मेदार है। यादव ने गुरुवार को एक ट्वीट में कहा कि कूनो नेशनल पार्क में नौवें चीते की मौत का ज़िम्मेदार कौन है? अब वो सब कहां हैं? इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब हो रही है, क्योंकि जहां से ये चीते आये थे उन देशों में इनके मरने की चर्चा है….।
विशेषज्ञ कर रहे थे निगरानी
बता दें कि बुधवार को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में एक और चीते की मौत हो गई। मार्च से लेकर अब तक नौ चीतों की मौत हो चुकी है। राष्ट्रीय उद्यान में सात नर और छह मादा समेत 14 चीते रखे गए थे। कूनो के वन्यजीव पशुचिकित्सक और एक नामीबियाई विशेषज्ञ टीम नियमित रूप से उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने कही यह बात
इधर, ‘प्रोजेक्ट चीता’ में शामिल अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों ने मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान में शुरुआती अनुभव के आधार पर सरकार को भारत में बसाने के लिए कम उम्र के ऐसे चीतों को प्राथमिकता देने की सलाह दी है, जो प्रबंधन वाहनों एवं मानव उपस्थिति के आदी हों। उन्होंने सरकार को चीतों को बसाने के लिए मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान के अलावा अन्य स्थान चिह्नित करने की भी सलाह दी।
एक रिपोर्ट में यह कहा
विशेषज्ञों ने सरकार को हाल में सौंपी गई एक स्थिति रिपोर्ट में कहा कि चीतों की ये विशेषताएं स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं की निगरानी, तनाव मुक्त पशु चिकित्सा और प्रबंधन हस्तक्षेप को सरल बनाने और पर्यटन को बढ़ाने में मदद करती हैं। उन्होंने कहा कि कूनो को पर्यटन के लिए खोला जाने वाला है और चीतों के मानव उपस्थिति के आदी होने से उद्यान को पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाने में मदद मिल सकती है।
नए माहौल में ढल जाते हैं
कूनो में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से दो समूहों में चीतों को लाया गया था। विशेषज्ञों ने कहा कि कम उम्र के वयस्क चीते नए माहौल में अधिक आसानी से ढल जाते हैं और अधिक उम्र के चीतों की तुलना में उनके जीवित रहने की दर भी अधिक होती है। कम उम्र के नर चीते अन्य चीतों को लेकर अपेक्षाकृत कम आक्रामक व्यवहार दिखाते हैं, जिससे चीतों की आपसी लड़ाई में होने वाली मौत का खतरा कम हो जाता है।
इन चीतों की हो चुकी मौत
-26 मार्च 2023 को मादा चीता साशा की किडनी इन्फेक्शन से मौत
-23 अप्रैल 2023 को नर चीता उदय की दिल के दौरे से मौत
-9 मई 2023 को मादा चीता दक्षा की मेटिंग के दौरान मौत
-23 मई 2023 को ज्वाला के एक शावक की मौत
-25 मई 2023 को ज्वाला के दो और शावकों की मौत
-27 मार्च 2023 को ज्वाला ने 4 शावकों को दिया था जन्म
-11 जुलाई 2023 को तेजस की मौत
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