Cheque Signature Rule: बैंक से जुड़े कई नियमों की जानकारी नहीं होने से अक्सर हम मुसीबत में पड़ जाते है एक गलती हमारे पैसे और लेनदेन को खराब कर देती है। क्या आपको जानकारी है आखिर किस स्थिति में सिग्नेचर किया जाना वाला चेक देना जरूरी होता है। अगर चेक के पीछे साइन कर किसी व्यक्ति को देते हैं तो ऐसी स्थिति में वित्तीय जोखिम होगा या नहीं। आइए जानते है इस खबर में।
चेक क्या है औऱ इसके पीछे साइन करना कब जरूरी
आपको बताते चलें, बैंक की भाषा में चेक की बात की जाए तो, चेक एक वित्तीय संस्थान या व्यक्तिगत कैश निकासी का एक लिखित गारंटी माना जाता है। जिसे आमतौर पर एक बैंक को एक खाते से दूसरे खाते में एक तय राशि का भुगतान करने का एक लिखित आदेश के तौर पर माना जाता है।
अगर आप चेक पर या उसके पीछे साइन करने करते है तो सभी तरह के चेक के लिए यह जरूरी नहीं होता है। इसके अलावा सिर्फ बियरर्स चेक पर ही पीछे के तरफ साइन किया जाता है. बियरर्स चेक उस तरह के चेक को कहा जाता है जिसे बैंक में जाकर जमा कराया जाता है और उसमें किसी व्यक्ति का नाम नहीं होता है।
उस चेक की मदद से कोई भी कैश बैंक से निकाल सकता है। अगर इस प्रकार के चेक से किसी प्रकार का फ्रॉड होने पर बैंक की जिम्मेदारी नहीं होती है।
इन बातों को जान लेना भी जरूरी
अगर आपको जानकारी नहीं हो तो चेक से जुड़ी कई बाते भी होती है जो जिनके बारे में जानना जरूरी होता है।
- एक बैंक चेक जारी होने की तारीख से तीन महीने के लिए वैध होता है।
- चेक के निचले भाग में 9 अंकों का एमआईसीआर कोड होता है जो चेक क्लीयरेंस प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाता है।
- चेक की रकम शब्दों और अंकों दोनों में लिखी होनी चाहिए।
- चेक जारी करने वाले को बिना ओवरराइटिंग के चेक पर हस्ताक्षर करना चाहिए।
- चेक पर प्राप्तकर्ता का नाम ठीक से लिखा होना चाहिए।
- चालू या बचत खाते के लिए चेक जारी किया जा सकता है।
- केवल चेक पर नामित भुगतानकर्ता ही इसे भुना सकता है।
- बिना तारीख वाला चेक अमान्य माना जाता है।
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