Chankaya Neeti: आचार्य चाणक्य एक बहुत ही अद्भुत व्यक्ति थे जिन्होंने अपनी बुद्धिमत्ता और कौशल से भारतीय इतिहास को पूरी तरह से हिलाकर रख दिया था.
वह मौर्य साम्राज्य के पीछे के मास्टरमाइंड थे और एक समझदार राजनीतिज्ञ, चतुर राजनयिक और आर्थिक विशेषज्ञ होने के कारण उन्होंने दुनिया भर में ख्याति प्राप्त की है.
आज हम आपको चाणक्य की कुछ नीतियां बताएँगे.
मनसा चिन्तितं कार्यं वाचा नैव प्रकाशयेत्। मन्त्रेण रक्षयेद् गूढं कार्ये चाऽपि नियोजयेत्।।
मन से सोचे हुए कार्य को वाणी द्वारा प्रकट नहीं करना चाहिए, परंतु मननपूर्वक भली प्रकार सोचते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए और चुप रहते हुए उस सोची हुई बात को कार्यरूप में बदलना चाहिए।
इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत् पण्डितो नरः । देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत् ।।
बुद्धिमान व्यक्ति को अपनी इन्द्रियों को वश में करके समय के अनुरूप अपनी क्षमता को तौलकर बगुले के समान अपने कार्य को सिद्ध करना चाहिए
परस्परस्य मर्माणि ये भाषन्ते नराधमाः । त एवं विलयं यान्ति वल्मीकोदरसर्पवत्।।
जो लोग एक-दूसरे के भेदों को प्रकट करते हैं, वे उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जैसे बांबी में फंसकर सांप नष्ट हो जाता है।
एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्याऽवसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम् ।।
राजा लोग कुलीन व्यक्तियों को अपने पास इसलिए रखते हैं कि वे राजा की उन्नति कि समय, उसका ऐश्वर्य समाप्त हो जाने पर तथा विपत्ति के समय भी उसे नहीं छोड़ते ।