हाइलाइट्स
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मप्र में 21 फीसदी आवादी जनजाति की
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जनजाति समाज के चैप्टर को जोड़ा गया
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कोर्स में 40 फीसदी किया गया बदलाव
MPPSC Syllabus Changed: मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2024 की प्री और मेंस परीक्षा के लिए बड़ा अपडेट जारी किया है।
पहले से जो छात्र MPPSC की तैयारी कर रहे हैं, उन्हें अब नए विषयों को भी पढ़ना होगा। लोक सेवा आयोग ने इसको लेकर नई गाइडलाइन जारी की है।
इसके साथ ही MPPSC परीक्षा 2024 के सिलेबस को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
MPPSC की परीक्षा को लेकर 2024 का कैलेंडर लोक सेवा आयोग ने जारी किया है। एमपीपीएससी परीक्षा 2024 में 40 फीसदी कोर्स (MPPSC Syllabus Changed) बदला गया है।
इस बदले हुए कोर्स के अनुसार ही इस साल परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस परीक्षा के पैटर्न पर बदलती शिक्षा नीति और अपग्रेड शिक्षा पैटर्न को मैच करने के लिए सिलेबस में बदलाव किया गया है।
बदले सिलेबस से ही पढ़ना होगा
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने 2024 को लेकर एमपीपीएससी की परीक्षा का शेड्यूल जारी किया है। साथ ही सिलेबस की गाइलडलाइन भी जारी कर दी गई थी।
मप्र लोक सेवा आयोग इसकी अगली तारीख की घोषणा शीघ्र करेगा, लेकिन इस परीक्षा की तैयारी और इसमें पास होने के लिए अब बदले हुए सिलेबस (MPPSC Syllabus Changed) के हिसाब से ही पढ़ना होगा।
तभी आपको सफलता मिलेगी। बता दें कि आयोग ने जनवरी में ही एमपीपीएससी परीक्षा का सिलेबस बदलने की जानकारी दे दी थी।
पैटर्न को मैच करने बदला सिलेबस
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने बदलती शिक्षा नीति और अपग्रेड शिक्षा पैटर्न को मैच करने के लिए MPPSC 2024 परीक्षा के सिलेबस (MPPSC Syllabus Changed) में भी बदलाव किया है।
इस सिलेबस में बदलाव करने का उद्देश्य ही मध्य प्रदेश के समाज वर्ग को समझने के लिए किया गया है।
एमपी के इस बड़े वर्ग को समझे युवा
मध्य प्रदेश में करीब 21 फीसदी आवादी एक ही समुदाय की निवास करती है। इस वर्ग को जानने और समझने के लिए ही मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने परीक्षा के नए पैटर्न पर बदलाव करने का निणर्य लिया है।
इस निर्णय के अनुसार एमपीपीएससी 2024 के कोर्स में 40 फीसदी कोर्स का बदलाव किया गया है।
प्री और मेंस दोनों में किया बदलाव
मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग ने प्री और मेंस की परीक्षा के कोर्स (MPPSC Syllabus Changed) में बड़ा बदलाव किया है।
इसमें प्री में भी मध्य प्रदेश के आदिवासी समुदाय और उनकी संस्कृति के साथ ही इस वर्ग से जुड़े इतिहास को शामिल किया गया है।
इसके साथ ही इसे मेंस में भी शामिल किया गया है। बता दें कि एमपी में सबसे ज्यादा आवादी आदिवासी समुदाय की है।
जिसमें अलग-अलग समाज, जाति वर्ग के लोग आते हैं।
इस समाज को समझना जरूरी
बता दें कि एमपीपीएससी का नया सिलेबस (MPPSC Syllabus Changed) जनवरी में जारी किया गया था। इसमें 40 फीसदी बदलाव किया गया है। इस सिलेबस में जनजाति समाज के चैप्टर को जोड़ा गया है।
जब आप 2024 की प्री और मेंस परीक्षा की तैयारी करेंगे तो आपको सिलेबस और किताबों में जनजाति समुदाय के बारे में जरूर मिलेगा, जिसे पढ़ना जरूरी है।
क्योंकि एमपी की सबसे ज्यादा आवादी वाले समुदाय के बारे में आपको जानना जरूरी है, क्योंकि मध्य प्रदेश में सरकारी अधिकारी बनकर आपको भी यहां निवास करने वाले जनजातीय समुदाय के बीच जाना, उनके बीच काम करना होगा।
ऐसे में उनके बारे में अपनी पकड़ को ज्यादा मजबूत करना होगा, यानी आपको जनजातीय समुदाय पर फोकस करते हुए तैयारी करनी है।
जनजातीय समाज पर ये पढ़ना होगा
राज्य सेवा परीक्षा में प्री एग्जाम के लिए 200 अंकों के 100 प्रश्न निर्धारित किए हैं। इसके लिए मप्र लोक सेवा आयोग ने 10 चैप्टर तय किए हैं।
इनमें से एक पूरा का पूरा चैप्टर केवल जनजातीय समाज पर है। इसके अलावा अन्य चैप्टर (MPPSC Syllabus Changed) में भी जनजातीय विषयों को जोड़ा गया है।
चैप्टर वन में इतिहास, संस्कृति है, जिसमें जनजातिया समाज की बोलियां, मप्र के प्रमुख जनजातीय व्यक्तित्व सभी को जोड़ा गया है।
दसवां चैप्टर पूरी तरह से आदिवासी समाज पर आधारित है। साथ ही मप्र की जनजाति, विरासत, लोकसंस्कृति, लोक साहित्य विषय भी हैं।
इतिहास-भूगोल भी जानना जरूरी
जनजातीय समाज को पढ़ने के लिए उनके भौगोलिक विस्तार, संवैधानिक प्रावधान, विशेष जनजाति, बोली, साहित्य स्वतंत्रता आंदोलन में आदिवासी की भूमिका, लोक संस्कृति, साहित्य सब कुछ शामिल है।
पहले प्रश्नपत्र इतिहास और भूगोल में भी मप्र के जनजातीय नायकों के संघर्ष और इतिहास का पूरा एक अलग चैप्टर रखा गया है।
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इसलिए समुदाय पर फोकस
बता दें कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 21 फीसदी आवादी जनजाति समुदाय की है। इसलिए मप्र लोक सेवा आयोग (MPPSC Syllabus Changed) ने जनजाति समुदाय की जनसंख्या को विशेष ध्यान में रखते हुए सिलेबस तैयार किया है।
वहीं कई सरकारी योजनाएं ऐसी हैं, जो इस समुदाय के लिए ही बनाई गई हैं। इसके अलावा एमपीपीएससी में चयन होने के बाद कई युवा ऐसे होंगे, जो आदिवासी बाहुल्य जिलों में जाकर अपनी सेवाएं देंगे।
ऐसे अधिकारियों को जनजाति समुदाय के बीच काम करने में आसानी होगी।