Major Scientific Innovations in 2023: 2023 में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने अनगिनत क्षेत्रों में आविष्कार किए। जिन्होंने मानवता की दृष्टि को बदल दिया। साथ ही नए दिशानिर्देश भी स्थापित किए हैं।
इन आविष्कारों ने न केवल विज्ञान क्षेत्र स्वास्थ क्षेत्र बल्कि मानव जाति के लिए वरदान साबित होंगे। आज हम आपको 2023 में हुए कुछ मुख्य वैज्ञानिक आविष्कारों के बारे में बताएंगे।
सिकल सेल एनीमिया मिशन
केंद्रीय बजट 2023-24 में भारत सरकार ने वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनीमिया को खत्म करने के लिये एक मिशन की घोषणा की है।
Sickle Cell Anaemia बीमारी एक आनुवंशिक बीमारी है, जिसका कोई इलाज नहीं है. लेकिन डॉक्टरों के अनुसार, अपने खाने में आयरन और विटामिन बी12 से भरपूर चीजों खाने से खून की कमी दूर होती है।
Sickle Cell Anaemia को हटाने के लिए एक मिशन की घोषणा की गई। इस मिशन का उद्देश्य विशेष रूप से आदिवासी आबादी के बीच सिकल सेल बीमारी को लेकर लोगों के जागरूक करना है।
यह मिशन देश के गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ सहित राज्यों में मिशन को 278 जिलों में लागू किया गया।
इसके तहत 2047 तक भारत से Sickle Cell Anaemia को खत्म करने का लक्ष्य है।
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SCA से निपटने हेतु सरकार की पहल
सरकार ने वर्ष 2016 में सिकल सेल एनीमिया सहित हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और नियंत्रण के लिये तकनीकी परिचालन दिशा-निर्देश जारी किये हैं।
उपचार और निदान हेतु 22 आदिवासी ज़िलों में एकीकृत केंद्र भी स्थापित किये गए हैं।
बीमारी की जाँच और प्रबंधन में आने वाली चुनौतियों का समाधान करने हेतु मध्य प्रदेश में राज्य हीमोग्लोबिनोपैथी मिशन की स्थापना की गई है।
डेंगू हेतु भारत में पहली बार बनी DNA वैक्सीन
इंडिया नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेज़ के शोधकर्त्ताओं ने भारत, अफ्रीका और अमेरिका के नौ अन्य संस्थानों के सहयोग से डेंगू बुखार के उपचार हेतु भारत की पहली एवं एकमात्र DNA वैक्सीन विकसित की है।
DNA आधारित कोविड-19 वैक्सीन ZyCoV-D विश्व में अपनी तरह की पहली वैक्सीन है और इसे विशेष रूप से भारत में विकसित किया गया है। DNA वैक्सीन तीसरी पीढ़ी की वैक्सीन है।
स्मार्ट विंडोज़ में प्रगति
बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंस के शोधकर्त्ताओं ने तरल क्रिस्टल के साथ पदानुक्रमित दोहरे नेटवर्क पॉलिमर को मिलाकर स्मार्ट विंडो तकनीक विकसित की है।
स्मार्ट विंडोज़ से हुआ लाभ
एनर्जी एफिशिएंसी : ये बहुत कम ऊर्जा की खपत करते हैं, जो उन्हें पर्यावरण के अनुकूल और लागत प्रभावी बनाता है।
गोपनीयता नियंत्रण: विंडोज़ पारदर्शी से अपारदर्शी में बदल सकते हैं, जिससे उपयोगकर्ताओं को उनकी गोपनीयता पर नियंत्रण मिल जाता है।
ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित पहली बस
हाल ही में केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने नई दिल्ली में देश की हरित हाइड्रोजन ईंधन सेल आधारित पहली बस को हरी झंडी दिखाई, जो स्वच्छ ऊर्जा में परिवर्तन की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है।
इंडियन ऑयल ने वर्ष 2023 के अंत तक दिल्ली एनसीआर में 15 और हाइड्रोजन ईंधन सेल बसें शुरू करने की योजना बनाई है।
ये बसें भारतीय परिचालन स्थितियों के तहत दक्षता और स्थिरता का आकलन करते हुए प्रदर्शन डेटा इकट्ठा करने में सहायता करेंगी।
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चंद्रयान-3 का सफल और ऐतिहासिक प्रक्षेपण
14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 ने श्रीहरिकोटा में अवस्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी थी। अंतरिक्ष यान ने 5 अगस्त 2023 को चंद्र कक्षा में निर्बाध रूप से प्रवेश किया।
ऐतिहासिक क्षण तब सामने आया जब लैंडर ने 23 अगस्त 2023 को चंद्र दक्षिणी ध्रुव के निकट एक सफल लैंडिंग की।
चंद्रयान-3 द्वारा चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (Lunar South Pole) का अन्वेषण भारत के अंतरिक्ष प्रयासों में एक नए युग का प्रतीक है।
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास भारत की सफल सॉफ्ट लैंडिंग राष्ट्रीय गौरव का क्षण है, जिसने देश को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के इतने निकट अंतरिक्ष यान उतारने की उल्लेखनीय उपलब्धि प्राप्त करने वाले पहले देश के रूप में स्थापित किया है।
आदित्य-एल1 का प्रक्षेपण
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation- ISRO) ने अपने पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 का सफल प्रक्षेपण किया।
इसका प्रक्षेपण PSLV-C57 रॉकेट का उपयोग करके किया गया था। इसरो के इतिहास में यह पहली बार था जब PSLV के चौथे चरण को दो बार प्रक्षेपित किया गया.
आदित्य-एल1, 1.5 मिलियन किलोमीटर की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। L1 बिंदु तक पहुँचने में इसे लगभग 125 दिन लगेंगे।
इस मिशन का उद्देश्य सौर कोरोना (Solar Corona), प्रकाशमंडल (Photosphere), क्रोमोस्फीयर (Chromosphere) और सौर पवन (Solar Wind) के बारे में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करना है।
इनको मिला नोबल पुरूस्कार
स्वास्थ क्षेत्र में बड़ी उपलब्धियों के साथ-साथ विज्ञान के क्षेत्र में भी कुछ ऐसी भी हस्तियाँ शामिल हैं।
विज्ञान के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार 2023
मेडिसिन या फिजियोलॉजी/ शरीर क्रिया विज्ञान
मेडिसिन या फिजियोलॉजी/ शरीर क्रिया विज्ञान में वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार कैटालिन कारिको और ड्रियू वीसमैन को मैसेंजर राइबोन्यूक्लिक एसिड (mRNA) के न्यूक्लियोसाइड बेस संशोधन पर उनके अभूतपूर्व कार्य के लिये दिया गया है।
वर्ष 2020 की शुरुआत में शुरू हुई कोरोना महामारी के दौरान कोविड-19 के विरुद्ध प्रभावी mRNA वैक्सीन विकसित करने के लिये इन दोनों नोबेल पुरस्कार विजेताओं की खोज़ महत्त्वपूर्ण रही।
भौतिक विज्ञान में मिला नोबल पुरूस्कार
भौतिकी के लिये वर्ष 2023 का नोबेल पुरस्कार तीन प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को दिया गया है: पियरे एगोस्टिनी, फ़ेरेन्क क्रॉस्ज़ और ऐनी एल. हुइलियर।
प्रायोगिक भौतिकी के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व कार्य ने एटोसेकंड पल्स के विकास को जन्म दिया है, जिससे वैज्ञानिकों को पदार्थ के भीतर इलेक्ट्रॉनों की तीव्र गतिशीलता का सीधे निरीक्षण और अध्ययन करने में मदद मिली है।
रसायन विज्ञान में मिला नोबल पुरूस्कार
रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज़ ने क्वांटम डॉट्स के अभूतपूर्व आविष्कार और संश्लेषण के लिये मौंगी जी बावेंडी, लुईस ई ब्रूस तथा एलेक्सी आई एकिमोव को रसायन विज्ञान में नोबेल पुरस्कार 2023 से सम्मानित किया।
पहला यूटेरस ट्रांसप्लांट
हाल ही में यूनाइटेड किंगडम (ब्रिटेन) में पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया, यह प्रजनन संबंधी चुनौतियों से जूझ रही महिलाओं के लिये आशा की नई किरण रही।
भारत सफलतापूर्वक गर्भाशय प्रत्यारोपण करने वाले कुछ देशों में से एक है; अन्य देश तुर्किये, स्वीडन और अमेरिका हैं।
डॉक्टरों का लक्ष्य अब प्रत्यारोपण सर्जरी की लागत को कम करना है। भारत में वर्तमान में इसकी लागत 15-17 लाख रुपए है।
साथ ही उनका लक्ष्य प्रत्यारोपण को सरल बनाना और अंग प्रत्यारोपण तथा अंगदान संबंधी नैतिक चिंताओं को दूर करते हुए एक बायोइंजीनियर्ड कृत्रिम गर्भाशय विकसित करना है।
CO2 को CO में परिवर्तित करने की नई तकनीक
IIT बॉम्बे में नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन कार्बन कैप्चर एंड यूटिलाइज़ेशन (NCoE-CCU) द्वारा कार्बन डाइ-ऑक्साइड (CO2) को कार्बन मोनोऑक्साइड (CO) में परिवर्तित करने के लिये एक नई तकनीक विकसित की जा रही है।
यह प्रौद्योगिकी ऊर्जा-कुशल है तथा इसका उपयोग इस्पात क्षेत्र में किया जा सकता है। साथ ही यह वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन के भारत के लक्ष्य के अनुरूप है।
चिकनगुनिया के लिये Ixchiq वैक्सीन
संयुक्त राज्य अमेरिका में खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने चिकनगुनिया के लिये विश्व के पहले टीके को मंज़ूरी दी।
यूरोपीय वैक्सीन निर्माता वलनेवा ने Ixchiq नामक एक सफल वैक्सीन बनाई है जो चिकनगुनिया वायरस (CHIKV) से बचाव में एक बड़ी प्रगति का प्रतिनिधित्व करती है।
Ixchiq वैक्सीन की मुख्य विशेषताएँ
इसे मांसपेशियों में इंजेक्शन के माध्यम से एकल खुराक के रूप में दिया जाता है। इसमें चिकनगुनिया वायरस का एक जीवित, कमज़ोर संस्करण होता है, जो संभावित रूप से टीका प्राप्तकर्त्ताओं में बीमारी के समान लक्षण उत्पन्न करता है।
जिन व्यक्तियों को वायरस से संक्रमित होने का अधिक खतरा है और जिनकी उम्र 18 वर्ष या उससे अधिक है, वे टीका प्राप्त कर सकते हैं।
मौसम की सटीक भविष्यवाणी के लिए वायुमंडलीय तरंग प्रयोग
उपग्रह संचार और GPS प्रणालियों में बढ़ते व्यवधानों के बीच नासा ने वायुमंडलीय तरंग प्रयोग (Atmospheric Waves Experiment- AWE) का अनावरण किया है,
जो अंतरिक्ष के मौसम को समझने की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
वायुमंडलीय गुरुत्वाकर्षण तरंगों (Atmospheric Gravity Waves- AGWs) में अंतरिक्ष घटनाओं को प्रभावित करने वाली पृथ्वी की चरम मौसम की घटनाओं को देखते हुए.
AWE का आसन्न प्रक्षेपण इन परस्पर जुड़ी गतिशीलता में अभूतपूर्व अंतर्दृष्टि प्रदान करने की संभावना रखता है। इस परीक्षण से मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी।
सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के लिये कैसगेवी थेरेपी
सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के लिये कैसगेवी थेरेपी यूके ड्रग रेगुलेटर ने कैसगेवी (Casgevy) नामक जीन थेरेपी को मंज़ूरी दी है, जिसे सिकल सेल रोग और थैलेसीमिया के इलाज के लिये एक महत्त्वपूर्ण सफलता माना गया।
विशेष रूप से यह CRISPR-Cas9 जीन संपादन तकनीक का लाभ उठाने वाली विश्व की पहली लाइसेंस प्राप्त थेरेपी का प्रतीक है, जिसने इसके नवप्रवर्तकों को रसायन विज्ञान में 2020 का नोबेल पुरस्कार दिलाया।
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