कोलकाता। Chandra Grahan 2022 LIVE:साल 2022 का आखिरी चंद्रग्रहण 6.20 मिनट पर खत्म हुआ है जिसके साथ देश के कई राज्यों और शहरों में चंद्रग्रहण का नजारा देखा गया जिसमें मध्य प्रदेश के भोपाल में लोगों ने साल का अंतिम चंद्र ग्रहण देखा। एक वैज्ञानिक ने बताया, “लोग चंद्र ग्रहण को नग्न आखों से देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण के समय सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। लोग इसे बाहर आकर देखें और हम चाहते हैं कि लोगों में वैज्ञानिक चेतना जागरुक हो।”
ग्रहण खत्म होने के बाद क्या करें
आपको बताते चलें कि, चंद्र ग्रहण की समाप्ति पर स्वंय और घर का शुद्धिकरण करें. जल में गंगा जल डालकर स्नान करें। इसके अलावा शास्त्रों के अनुसार ग्रहण के बाद पूरे घर को पानी में नमक डालकर धोना चाहिए. और घर के देवी-देवताओं को भी स्नान करवाएं. विधिवत पूजा पाठ करें. चंद्र ग्रहण के बाद दान का बहुत महत्व है. मान्यता है कि इसकी समाप्ति पर चंद्रमा से संबंधित सफेद चीजें जैसे – चावल, दही, मोती, वस्त, दूध, मिठाई, आदि का दान करना चाहिए।
मध्य प्रदेश: भोपाल में लोगों ने साल का अंतिम चंद्र ग्रहण देखा।
एक वैज्ञानिक ने बताया, “लोग चंद्र ग्रहण को नग्न आखों से देख सकते हैं लेकिन सूर्य ग्रहण के समय सावधानियां बरतनी पड़ती हैं। लोग इसे बाहर आकर देखें और हम चाहते हैं कि लोगों में वैज्ञानिक चेतना जागरुक हो।” pic.twitter.com/FHzYadTsp2
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 8, 2022
बिहार में नजर आया अंतिम चंद्र ग्रहण
भारत में साल का अंतिम चंद्र ग्रहण चल रहा है, तस्वीर उत्तर प्रदेश के वाराणसी की है।भारत में साल का अंतिम चंद्र ग्रहण चल रहा है, तस्वीर असम के गुवाहाटी की है। आपको बताते चलें कि,बिहार के पटना में लोगों ने साल का अंतिम चंद्र ग्रहण देखा। एक बच्ची ने बताया, “हमने इससे पहले कभी चंद्र ग्रहण नहीं देखा था। ग्रहण के समय चांद आधा दिख रहा था। हमें चंद्र ग्रहण देखना का मन भी था और देखकर अच्छा लग रहा था।”
बिहार: पटना में लोगों ने साल का अंतिम चंद्र ग्रहण देखा।
एक बच्ची ने बताया, “हमने इससे पहले कभी चंद्र ग्रहण नहीं देखा था। ग्रहण के समय चांद आधा दिख रहा था। हमें चंद्र ग्रहण देखना का मन भी था और देखकर अच्छा लग रहा था।” pic.twitter.com/iEMq7jijEy
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दुनिया में चंद्रग्रहण की स्थिति
आपको बताते चलें कि, चंद्र ग्रहण सबसे पहले 2.39 पर प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखा। इसके बाद यह अमेरिका होते हुए ऑस्ट्रेलिया और फिर जापान में देखा गया। अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में यह आधा दिख रहा था। कुछ देर बाद ही दोनों देशों में ब्लड मून दिखने लगा। हालांकि जापान में चंद्र ग्रहण आंशिक तौर पर ही देखा गया। ग्वाटेमाला में चंद्र ग्रहण आधा दिखा।प्रख्यात खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने ग्रहण को प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं के रूप में मानने और इससे जुड़े अंधविश्वासों पर विश्वास नहीं करने का आह्वान किया है। आंशिक सूर्य ग्रहण के ठीक एक पखवाड़े बाद मंगलवार को भारत और दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पूर्ण चंद्रग्रहण देखने को मिलेगा।
खगोलीय घटना ही मानें
खगोल वैज्ञानिक देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 21वीं सदी में अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय विकास के बावजूद लोग इस तरह की प्राकृतिक खगोलीय घटनाओं से जुड़े अंधविश्वासों को मानते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों को इस तरह की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए और आगे बढ़कर इसे सिर्फ एक प्राकृतिक खगोलीय घटना के रूप में ही मानना चाहिए।’’ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी और इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन जैसे प्रतिष्ठित संगठनों से संबद्ध रखने वाले देवी प्रसाद दुआरी ने कहा कि सूर्य या चंद्र ग्रहण को लेकर अंधविश्वास न केवल देश में बल्कि दुनिया भर के विभिन्न हिस्सों में प्रचलित है। भारत में लोग ग्रहण के दौरान न तो खाना खाते हैं और न ही पकाते हैं। कुछ लोग इस प्रकार की खगोलीय घटनाओं के दौरान अपने घर से बाहर भी नहीं निकलते हैं। कुछ लोगों का यह भी मानना है कि गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के दौरान अपने घरों से बाहर नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इसके संपर्क में आने से भ्रूण को नुकसान हो सकता है।
जानें कहां-कहां आएगा नजर
हालांकि, सूर्य ग्रहण से जुड़े अंधविश्वास चंद्र ग्रहण की तुलना में अधिक हैं। दुआरी ने कहा, ‘‘किसी भी तरह से ग्रहण हमारे जीवन, हमारे व्यवहार, हमारे भविष्य या हमारे अतीत को प्रभावित नहीं करेगा। ’’ खगोल वैज्ञानिक ने कहा कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पूर्णिमा की रात को पृथ्वी के छाया क्षेत्र से होकर गुजरता है। चंद्र ग्रहण देखने के लिए सावधानियों की आवश्यकता नहीं है, हालांकि सूर्य ग्रहण देखने के लिए कुछ सुरक्षा उपाय करना आवश्यक है। आंखों से सीधे सूर्य ग्रहण देखने से रेटिना को अपूरणीय क्षति हो सकती है। उन्होंने कहा कि भारत के अलावा, एशिया, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर और प्रशांत महासागर के अन्य हिस्सों के लोग इस खगोलीय घटना को देख सकेंगे।
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