Chanakya Niti: हर व्यक्ति की चाहत होती है कि वह जीवन में कभी दुखी ना हो, लेकिन विधि का विधान है कि यदि सुख तो दुख जरूर आता है।
लेकिन हम अपने व्यक्तित्व में बदलाव कर इन परिस्थितियों से कुछ दहत तक बचाव कर सकते हैं। आचार्य चाणक्य ने संकट के दौरान कैसा बरताव करना चाहिए को लेकर कई बातें कही हैं।
जिसका पालन कर कर हम अपने उपर आने वाली परेशानियों को हंसी-खुशी के साथ टाल सकते हैं। आज हम इस लेख में इन्हीं बातों को लेकर चर्चा करें।
सकारात्मक सोच
संकट के समय उचित सलाह, अनुभव और हौंसले से ही आपको ताकत मिलती है। इसलिए विपरीत हालातों में इन चीजों को अनदेखा नहीं करना चाहिए।
इन परिस्थियों में हमे अपने मन को विचलित नहीं होने देना है। क्योंकि विचलित दिमाग कभी सही निर्णय नहीं ले सकता है।
लड़ाई- झगड़ों में हमेशा बल के साथ अगर आप बुद्धि का प्रयोग करते हैं, तो जीत की संभावना बढ़ जाती है।
एकता से मिलेगा बल
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर कोई व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों में अहम का भाव रखता है, तो उसकी हार निश्चित है। क्योंकि इस सयम हिम्मत और एकता का होना बहुत आवश्यक होता है।
आचार्य के मुताबिक हमेशा एक-दूसरे का पक्ष जानने और दूसरों को साथ लेकर चलने की भावना हमें सफलता की ओर ले जाती है।
मुसीबत में रहें सतर्क
आचार्य का कहना है कि विपरीत परिस्थितियों में हमें सतर्क रहने की जरूर है, ऐसे समय में व्यक्ति के पास अवसर बहुत कम होते है।
ऐसे में हमारी छोटी सी भूल बड़ा नुकसान करा सकती है, इसलिए पहले से सावधान रहना ही समझदारी है।
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