Chanakya Niti: चाणक्य कूटनीति के माहिर थे, वे अर्थशास्त्री भी थे. व्यक्ति के जीवन में आने वाले उतार चढ़ाव के बारे में चाणक्य ने बहुत ही सूक्ष्मता से अध्ययन किया और बताया है कि जीवन के हर मोड़ का किस तरह से सामना करना चाहिए.
जीवन को समझने में चाणक्य नीति मदद करती है. तो आइए जानते हैं आज के इस चाणक्य नीति में क्यों काम पूरा होने से पहले काम की चर्चा दूसरों से नहीं करनी चाहिए-
मन में सोचे गए कार्य दूसरों को न बताएं
चाणक्य नीति कहती है कि मन में सोचे गए कार्य के बारे में कभी किसी दूसरों को नहीं बताना चाहिए. चाणक्य कहते हैं जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे उस कार्य में सफलता नहीं मिलती है.
मन में सोचे गए कार्य को मंत्र के समान गुप्त रखकर ही उस कार्य को करना चाहिए. मन की बात को गोपनीय रखकर निरंतर कार्य में जुटे रहना चाहिए. तो लक्ष्य की प्राप्ति होगी.
कार्य नहीं पूरा होने पर लोग व्यक्ति का मजाक बनाते हैं. दूसरी ओर वहीं शत्रु को पता चल जाने से वह इसमें अवरोध भी पैदा कर सकता है. याद रखें कार्य पूर्ण होने पर सभी को स्वत: ही सभी को पता चल जाएगा.
वेदों में भी कहा गया है कि ध्यान केंद्रित, चिंतन मनन और गुप्त रूप से कार्य करने से सफलता मिलती ही मिलती है.
व्यावहारिकता ऐसी होनी चाहिए
चाणक्य कहते हैं कि कन्या का विवाह अच्छे कुल में करना चाहिए, पुत्र को शिक्षा के कार्य में लगा देना चाहिए. मित्रों को अच्छे कार्यों में लगा देना चाहिए. चाणक्य के अनुसार यही व्यावहारिकता है और समय की मांग भी यही है.
इस अर्थ यह है कि बेटी का विवाह अच्छे घर में करने से बेटी की चिंता से मुक्त हो जाएंगे. पुत्र को अच्छी शिक्षा दिलाने से वह अपना अच्छा बुरा सही तरह से सोच सकेगा और रोजगार प्राप्त कर अच्छा जीवन व्यतीत कर सकेगा.
मित्रों को अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करें ताकि वे अपना जीवन सुधार सके. शत्रु को बुरी आदतों में उलझा दें ताकि वे उसमे उलझा रहे व दूसरों को परेशान न करें.
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