Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में अच्छा लीडर बनने के कई गुण बताए हैं। चाणक्य ने अपने एक श्लोक के माध्यम से गुणी व्यक्ति और श्रेष्ठ लीडर की तुलना गरुड़ से की है।
इस श्लोक के माध्यम से उन्होंने व्यक्ति की गुणों और कर्मों की चर्चा की है। आइए जानते हैं चाणक्य के इस श्लोक से क्या बताना चाहते हैं
धनवान होने से व्यक्ति महान नहीं बनता
चाणक्य के अनुसार एक अच्छा लीडर, एक आम व्यक्ति भी अपनी खूबियों से महानता प्राप्त करता है न कि ऊंचे पद पर कब्जा हासिल करने से ।
जैसे भवन की छत पर बैठने से कौआ गरुड़ नहीं हो जाता। उसी प्रकार ऊंचे स्थान पर विराजमान और धनवान होने से व्यक्ति महान नहीं बनता। यानि की धनवान व्यक्ति
ज्ञानी नहीं होता है।
अपने कर्मों से लोग पूजनीय होते हैं
मनुष्य अपने कर्मों से महान बनता है। मनुष्य का ज्ञान उसे दूसरे व्यक्ति से अलग बनता है।
जरुरी नहीं कि केवल ऊंच कुल के व्यक्ति ही पूजनीय होते हैं बल्कि सद्गुणों से युक्त इंसान निर्धन एवं नीच कुल से संबंधित होते हुए पूजनीय होता है।
गुणी इंसान का चर्चा स्वयं होता है
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में बताया है कि नीति कहती है कि एक सुंदर फूल मात्र नयन सुख देता है लेकिन एक सुगंधित फूल कई लोगों को प्रसन्न करता है, उनका तनाव दूर कर देता है।
उसी प्रकार अच्छे और गुणी इंसान की गुणवत्ता सभी दिशाओं में फैलती है, उसे दिखावे की जरुरत नहीं होती है। दिखावा वही व्यक्ति करता है जो अंदर से खोखला होता है।
बुद्धिमान व्यक्ति अपने गुणों की चर्चा नहीं करते
आचार्य चाणक्य का कहना है कि बुद्धिमान, गुणी और समझदार व्यक्ति अपने गुणों का बखान नहीं किया करते।
किस भी व्यक्ति का गुण वो हीरा हैं जिसकी चमक कोयले की खदान में दूर से भी दिख जाती है।
गुणी और अच्छे इंसानों का कद उनके कार्यों और व्यवहार से नजर आता है न कि दिखावा करने से
वहीं जो बड़ी-बड़ी बेमतलब की बातें और खुद की प्रशंसा करते हैं वह दूसरों की नजरों में खुद को गिराते हैं।
पुराणों में गुरुड़ को समझदार और बुद्धिमान होने के साथ-साथ तेज गति से उड़ना वाला पक्षी बताया है।
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