Champai Soren Resignation JMM: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन ने भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा उठाया गया यह कदम संताल परगना क्षेत्र में आदिवासियों की पहचान को बचाने के लिए हैं, क्योंकि बाकी के राजनीतिक दल इस तरफ सिर्फ वोट बैंक की नजरों से देखते हैं।
पूर्व सीएम ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट को शेयर करते हुए कहा कि कोल्हान क्षेत्र के लोग हमेशा से ही उनके साथ खड़े रहे हैं और राजनीति से संन्यास लेने के उनके विकल्प को नकार दिया। उन्होंने यह पोस्ट भाजपा में शामिल होने का फैसला लेने केकुछ ही घंटों के बाद आया। बता दें कि चंपई सोरेन के साथ उनके बेटे बाबूलाल सोरेन भी भाजपा में शामिल होंगे।
चंपई के भाजपा में शामिल होने के बाद, कई नेता नाराज
चंपई सोरेन के भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने से माना जा रहा था कि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी नाराज चल रहे हैं। हालांकि, उन्होंने बीते दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। पीएम से मिलने के बाद पत्रकारों को बताया कि चंपई सोरेन के भाजपा में शामिल होने की खबरें 15 दिन पहले से चल रही थीं। पार्टी में शामिल होने के बाद सभी स्थानीय नेता स्वयं शांत हो जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चंपई के सदस्यता ग्रहण समारोह के दौरान वह खुद वहां पर मौजूद रहेंगे।
जोहार साथियों,
पिछले हफ्ते (18 अगस्त) एक पत्र द्वारा झारखंड समेत पूरे देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। उसके बाद, मैं लगातार झारखंड की जनता से मिल कर, उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र की जनता हर कदम पर मेरे साथ खड़ी रही, और उन्होंने ही सन्यास लेने का विकल्प…
— Champai Soren (@ChampaiSoren) August 27, 2024
हालांकि, चंपई सोरेन का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए एक सही निर्णय हो सकता है। मगर इसपर विचार करना अहम है कि क्या यह निर्णय भाजपा के लिए फायदेमंद का सौदा होगा। दरअसल, इससे पहले सीता सोरेन और गीता कोड़ा भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं, लेकिन इससे पार्टी के पक्ष में विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। वहीं, इसपर मरांडी का कहना है कि यह काफी हद तक विभिन्न परिस्थितियों पर निर्भर करता है और किसी को चुनाव लड़ने के लिए मजबूर भी नहीं किया जा सकता है।
इसलिए किया बीजेपी में जाने का फैसला
चंपई सोरेन ने भाजपा में शामिल होने से पहले एक पोस्ट शेयर किया और लिखा कि पिछले हफ्ते मैंने एक चिट्ठी के जरिए पूरे देश के साथ अपने विचारों को साझा किया था। इसके बाद मैं झारखंड के लोगों से मिलता रहा और उनकी राय जानने का प्रयास करता रहा। कोल्हान क्षेत्र के लोग हर कदम में मेरे साथ खड़े हैं और संन्यास का विकल्प खारिज कर दिया। साथ ही पूर्व सीएम ने यह भी दावा किया कि पार्टी में ऐसा कोई मंच नहीं था जहां वह अपनी पीड़ा का जाहिर कर सकते और वरिष्ठ नेता (शिबू सोरेन) का स्वास्थ्य भी कुछ ठीक नहीं चल रहा है, जिसके कारण वह राजनीति में अधिक सक्रिय भी नहीं हैं।
आदिवासियों की चिंता के बारे में बताते हुए उन्होंन कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेश घुसपैठ एक बड़ी समस्या बनकर उभरी है। बाबा तिलका मांझी और सिदो-कान्हू की पवित्र भूमि पर ये घुसपैठिए उन नायकों की संतानों की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैंस जिन्होंने कभी अग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की थी। इनकी वजह से ही हमारी मातोओं, बहनों और बेटियों की गरिमा आज खतरे में है।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ एक ही राजनीति दल गंभीर है और वह भाजपा है। इसके अलावा अन्य पार्टियां इसे वोट के लिए नजरअंदाज कर रही हैं। इसलिए, आदिवासियों की पहचान और अस्तित्व बचाने की इस लड़ाई में, मैंने पीएम मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व पर अधिक विश्वास जताते हुए भाजपा में शामिल होने का फैसला किया है।
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